अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई, इस मामले में न्यायालय नियुक्त कर सकता है मध्यस्थ
अयोध्या विवाद (Photo Credit: You Tube)

नई दिल्ली: अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ayodhya Ram Janmbhumi- Babri Masjid dispute) मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अहम सुनवाई होने वाली है. इस दौरान कोर्ट अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) का हल बातचीत के जरिए निकालने के लिए मध्यस्थ (Mediator) की नियुक्ति कर सकता है. दरअसल, कोर्ट ने पिछले हफ्ते ही इसके संकेत दिए थे. उस दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुख्य मामले की अगली सुनवाई में करीब 8 हफ्ते का वक्त है. ऐसे में बेहतर होगा कि इस समय का इस्तेमाल सभी पक्ष बातचीत के जरिए किसी हल तक पहुंचने के लिए करें.

बता दें कि पिछले हफ्ते यानी 26 फरवरी को अयोध्या मामले की सुनवाई यूपी सरकार की तरफ से कराए गए दस्तावेजों के अनुवाद पर विवाद के चलते अटक गई थी. दरअसल, मुस्लिम पक्ष ने यह मांग की थी कि वो दस्तावेजों को देखकर बताएगा कि अनुवाद सही है या नहीं. इस पर कोर्ट ने दस्तावेजों की जांच के लिए अनुमति देते हुए सुनवाई टाल दी थी. उसी दौरान कोर्ट ने कहा था कि वह छह मार्च को आदेश देगा कि मामले को अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थ के पास भेजा जाए या नहीं.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजो की बेंच ने विभिन्न पक्षों से मध्यस्थता के जरिए दशकों पुराने इस विवाद का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान किए जाने की संभावना तलाशने को कहा था और सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया था कि अगर इस विवाद का आपसी सहमति के आधार पर समाधान खोजने की एक फीसदी भी गुंजाइश हो तो मामले से जुड़े पक्षों को मध्यस्थता का रास्ता अपनाना चाहिए.

मध्यस्थता के जरिए इस विवाद का समाधान ढूंढने का सुझाव पीठ के सदस्य जस्टिस एस ए बोबडे ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई के दौरान दिया था. जस्टिस बोबडे ने यह सुझाव उस वक्त दिया था जब इस विवाद के दोनों हिंदू और मुस्लिम पक्ष के लोग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दस्तावेजों के अनुवाद को लेकर आपस में उलझ गए थे. बता दें कि पांच जजों की इस संवैधानिक बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए.बोबड़े, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. यह भी पढ़ें: अयोध्या जमीन विवाद मामला: सुप्रीम कोर्ट 5 मार्च को तय करेगा, मामले को मध्यस्थ के पास भेजे या नहीं?

26 फरवरी की पांच जजों की इस बेंच ने कहा था कि हमारी ये सोच है कि 8 हफ्ते के समय का इस्तेमाल आपसी चर्चा के लिए किया जाए तो अच्छा रहेगा. हालांकि इसे लेकर कुछ पक्ष तैयार नजर आ रहे हैं तो कुछ नहीं. इसलिए 6 मार्च को सिर्फ इसी पहलू पर चर्चा की जाएगी. अगर सही लगा तो हम अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इस मामले का हल निकालने के लिए किसी मध्यस्थ की नियुक्ति कर देंगे.

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा साल 2010 में सुनाए गए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 याचिकाएं दायर की गई हैं. दरअसल, हाई कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था, लेकिन अभी तक इस मामले का निपटारा नहीं हो पाया है.

(भाषा इनपुट के साथ)