राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले (Ram Janmabhoomi-Babri Masjid Land Dispute Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को 39वें दिन सुनवाई के दौरान महंत सुरेश दास (हिन्दू पक्ष) की ओर से वकील के. परासरण (K Parasaran) ने कहा कि एक ऐतिहासिक गलती को सुधारा जाए. किसी को भारत (India) के गौरवशाली इतिहास को नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट को अयोध्या (Ayodhya) में मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को नष्ट करने के ऐतिहासिक गलत काम को रद्द करना चाहिए.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष अपनी दलीलें पेश करते हुए परासरण ने कहा कि मुस्लिम किसी भी मस्जिद में नमाज पढ़ सकते हैं, लेकिन ये हमारे भगवान का जन्मस्थान है, हम जन्मस्थान को बदल नहीं सकते. उन्होंने कहा कि कोई शासक भारत में आकर ये नहीं कह सकता कि मैं सम्राट बाबर हूं और कानून मेरे नीचे है. यह भी पढ़ें- राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस: सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले के मद्देनजर अयोध्या में लगी धारा 144.
Supreme Court's five-judge Constitution bench, headed by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi, is hearing the Ram Mandir Babri Masjid land (Title) dispute case. CJI says, "Today is 39th day. Tomorrow is 40th day and last day of hearing in the case." pic.twitter.com/DL7tDU7xiu
— ANI (@ANI) October 15, 2019
इससे पहले सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, 'मामले में सुनवाई का आज 39वां दिन है व कल 40वां और आखिरी दिन.' ज्ञात हो कि राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की जमीन के स्वामित्व विवाद मामले की सुनवाई 16 अक्टूबर तक पूरी कर ली जाएगी. बता दें कि पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायामूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं.