राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले (Ram Janmabhoomi-Babri Masjid Land Dispute Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बुधवार को 40वें और आखिरी दिन सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार के लिए मंगलवार को ही पक्षकारों का टाइम स्लॉट तय कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए 17 अक्टूबर का शेड्यूल तय कर रखा है और अगर आज सुनवाई पूरी हो जाती है तो यह शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित तारीख से एक दिन पहले पूरी होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले रामलला विराजमान के वकील दलीलें देंगे. उन्हें 45 मिनट का समय मिलेगा. इसके बाद 60 मिनट मुस्लिम पक्षकार के वकील अपनी बात रखेंगे. वहीं, अन्य पक्षकारों को 45-45 मिनट का समय मिलेगा और अगर वक्त बचा तो कोर्ट अन्य किसी संभावना की गुंजाइश देखेगा. उसके बाद सुनवाई पूरी कर के फैसला रिजर्व हो जाएगा.
इससे पहले 39वें दिन की सुनवाई के दौरान हिंदू और मस्लिम पक्षकारों के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई थी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ पूर्व महान्यायवादी और वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण की दलीलें सुन रही थी. वह 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा दायर मुकदमे का जवाब दे रहे थे, ताकि अयोध्या में विवादित स्थल पर दावा किया जा सके. परासरण ने अपनी दलील में कहा कि मुगल सम्राट बाबर ने 433 साल से अधिक समय पहले भारत पर विजय के बाद भगवान राम की जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण कर एक 'ऐतिहासिक गलती' की थी, जिसे अब ठीक करने की जरूरत है. यह भी पढ़ें- अयोध्या विवाद: वरिष्ठ वकील के. परासरण ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील, कहा- भारत के गौरवशाली इतिहास को नष्ट करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
इस पर मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन उठे और हस्तक्षेप किया. धवन ने न्यायामूर्ति एस ए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस ए नजीर की पीठ से कहा, ‘यह पूरी तरह से एक नई दलील है. उनके द्वारा अन्य मुकदमों में भी यह तर्क दिया जा सकता था. मैं प्रत्युत्तर देने का हकदार हूं.’