जयंती विशेष: समर्थक ही नहीं बल्कि विरोधी भी थे अटल जी के मुरीद, देश को आजाद करने के लिए गए थे जेल, जानें उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
अटल जी किस श्रेष्ठ व्यक्तित्व के धनी थे इसे उनकी लोकप्रियता से समझा जा सकता है. अपनी पार्टी ही नहीं वे विपक्षियों के दिलों में भी राज करते थे. दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री रह चुके अटल बिहारी वाजपेयी के चाहने वाले भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हैं.
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की आज 94 वीं जयंती है. वाजपेयी हमेशा से ही एक साफ और श्रेष्ठ छवि वाले नेता के रूप में जाने जाते रहें हैं. अटल जी किस श्रेष्ठ व्यक्तित्व के धनी थे इसे उनकी लोकप्रियता से समझा जा सकता है. अपनी पार्टी ही नहीं वे विपक्षियों के दिलों में भी राज करते थे. दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री रह चुके अटल बिहारी वाजपेयी के चाहने वाले भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हैं. 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के शिंदे की छावनी में में जन्मे अटल सभी के दोस्त थे.
राजनैतिक या सामाजिक जिस भी दृष्टी से देखें अटल जी सभी में सर्वोच्च स्थान पर आते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक समझ के साथ-साथ अपने भाषण देने की शैली और कविता के कारण भी जाने जाते हैं. उन्हें बीजेपी के आधार स्तंभ के रूप में जाना जाता है. आज उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है. आइये जानते हैं अटल जी से जुड़ी कुछ रोचक बातें.
- अटल बिहारी वाजपेयी के पिता श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में ही अध्यापन और दादा पं० श्याम लाल बिहारी वाजपेयी जाने-माने संस्कृत के विद्वान थे. अटल बिहारी वाजपेयी को उनके करीबी दोस्त और रिश्तेदार बाप जी कहकर बुलाते थे.
- कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि अटल बिहारी वाजपेयी और उनके पिता ने लॉ की पढ़ाई एक साथ की. दोनों छात्र बनकर एक ही होस्टल के कमरे में साथ रहते थे. अपने छात्र जीवन में ही अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. उन्होंने एलएलबी में दाखिला तो लिया लेकिन बीच में पढ़ाई छोड़कर राजनीति में शामिल हो गए.
- अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प कर लिया था. आजादी की लड़ाई के समय उन्हें साल 1942 के 'भारत छोड़ो' 24 दिन तक जेल में रहना पड़ा था.
- अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से अटल जी भी एक रहे हैं. अटल साल 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष रहे और यह जनसंघ बाद भारतीय जनता पार्टी नाम से राजनैतिक पार्टी बनाई.
- अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार बलरामपुर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. मोरारजी देसाई के साथ उन्होंने 1977 सरकार बनाई और उसमें विदेश मंत्री का पद संभाला.
- अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 में देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. लेकिन उनकी सरकार ज्यादा नहीं चल पाई और उन्हें त्याग-पत्र देना पड़ा. जिसके बाद उन्होंने 19 मार्च, 1998 को फिर एक बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.
- अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान 1998 में पोखरण में परमाणु परिक्षण कर के पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. इस सफल परिक्षण के बाद देश दुनिया के कुछ गिने-चुने परमाणु संपन्न देशों में शुमार हो गया.
- अटल जी एक सफल राजनेता होने के साथ-साथ एक अच्छे कवि भी हैं. अपने विचारों को कई बार कविताओं के माध्यम से ही सामने रखते थे.
- अटल बिहारी वाजपेयी ने दिसंबर 2005 में सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट का ऐलान किया.
- अटल बिहारी वाजपेयी को 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, 1994 में श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार, 1994 में ही गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार और 2014 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया.