Assembly Elections: मध्यप्रदेश में भाजपा के तीन बार के विधायकों की उम्मीदवारी खतरे में

मध्यप्रदेश में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं, क्योंकि जमीनी फीडबैक उसके पक्ष में नहीं आ रहा है.

Bharatiya Janata Party (File Photo)

भोपाल, 21 जनवरी : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में इसी साल विधानसभा के चुनाव (Assembly Elections) होने वाले हैं और चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं, क्योंकि जमीनी फीडबैक उसके पक्ष में नहीं आ रहा है. यही कारण है कि पार्टी गुजरात फार्मूले को राज्य में सख्ती से लागू करने वाली है. इसके चलते तीन बार या उससे ज्यादा बार के विधायकों की उम्मीदवारी तो खतरे में पड़ ही सकती है, साथ में दिग्गज नेता चुनाव न लड़ने का ऐलान तक कर सकते हैं.

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को डेढ़ दशक बाद सत्ता से बाहर होना पड़ा था, मगर इस बार परिस्थितियां पार्टी को पिछले चुनाव से भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण नजर आ रही हैं. जमीनी स्तर से जो फीडबैक आ रहा है, वह पार्टी के लिए संदेश दे रहा है कि जमीनी हालात भाजपा के पक्ष में नहीं है. साथ ही इतने भी बुरे नहीं हैं कि उन्हें संभाला न जा सके. यह भी पढ़ें :Pilot VS Gehlot: राजस्थान में गहलोत और सचिन के बीच जुबानी जंग फिर शुरू, मुख्यमंत्री ने पायलट को कोरोना कहा तो मिला यह जवाब

सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भी राज्य की स्थिति को लेकर मंथन हुआ है. उसके बाद ही यह विचार हिलोरें मारने लगा है कि गुजरात फार्मूले पर आगे बढ़ा जाए. पार्टी के पास अब तक जो जमीनी हालात का ब्यौरा आया है, उसके आधार पर पार्टी कई विधायकों का टिकट तो कटेगी ही, इसमें बड़ी तादाद में ऐसे नेता होंगे, जो तीन बार से ज्यादा विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में गुजरात के उस फार्मूले की भी बात हुई, जिसके बल पर भाजपा ने तमाम पूवार्नुमानों को ध्वस्त कर रिकार्ड जीत हासिल की. गुजरात के प्रदेशाध्यक्ष सीआर पाटिल ने प्रजेंटेशन भी दिया.

गौरतलब है कि गुजरात में पाटिल के सुझाव पर जहां बड़ी तादाद में विधायकों के टिकट काटे गए थे, वहीं कई दिग्गजों ने खुद चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था. पाटिल ने पार्टी को सुझाव दिया है कि अगर हमें आगे चुनाव जीतने का क्रम जारी रखना है तो कड़े फैसले लेना होगें. ऐसा करने पर जनता की नाराजगी को कम किया जा सकेगा. उसी के बाद से मध्यप्रदेश में चुनाव कैसे जीता जाए, इस पर होमवर्क हो रहा है.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने तीन मुददों पर राज्य में कई बार जमीनी फीडबैक मंगाया. यह थे सरकार को लेकर मतदाताओं का रुख क्या है, मंत्रियों के प्रति जनता की राय क्या है और क्षेत्रीय विधायक से कितना संतुष्ट हैं मतदाता. इन तीन मुददों को लेकर आए फीडबैक ने पार्टी को चिंता में डालने का काम किया हैं.

सूत्रों की मानें तो पार्टी की सबसे ज्यादा नजर तीन बार से ज्यादा बार के विधायकों, 60 पार कर चुके नेताओं और उन खास लोगों पर है, जिनके चलते पार्टी को नुकसान की आशंका है. पार्टी में यह भी राय बन रही है कि जिन नेताओं की छवि अच्छी नहीं है या जनता में नाराजगी है, उनसे चुनाव से लगभग दो माह पहले ही यह ऐलान करा दिया जाए कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे. ऐसा करने पर एंटीइंकम्बेंसी को कम किया जा सकेगा. इसके बाद तीन बार के विधायकों और अन्य पर फैसला हो. इसमें पार्टी को बगावत की आशंका है, मगर पार्टी जोखिम लेने को तैयार है. इसकी भी वजह है, क्योंकि पार्टी को इतना भरोसा है कि जिनके टिकट कटेंगे, उनमें से मुश्किल से पांच फीसदी ही नेता ऐसे होंगे, जो दल बदल करने का जोखिम लेंगे.

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