'Stripped, Assaulted': भुवनेश्वर के भरतपुर थाने में आर्मी अफसर की मंगेतर से दुष्कर्म, पांच पुलिसकर्मी सस्पेंड
ओडिशा के भुवनेश्वर से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां भरतपुर थाने में एक आर्मी अफसर की मंगेतर के साथ दुष्कर्म किया गया. यह घटना 14 सितंबर की है, जब आर्मी अफसर और उनकी मंगेतर रात में रेस्टोरेंट से घर लौट रहे थे.
'Stripped, Assaulted': ओडिशा के भुवनेश्वर से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां भरतपुर थाने में एक आर्मी अफसर की मंगेतर के साथ दुष्कर्म किया गया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 14 सितंबर की है, जब आर्मी अफसर और उनकी मंगेतर रात में रेस्टोरेंट से घर लौट रहे थे. पीड़िता ने बताया कि 15 सितंबर की रात एक बजे रास्ते में कुछ लोग उनकी कार का पीछा कर रहे थे. किसी अनहोनी की आशंका से वे शिकायत दर्ज कराने भरतपुर थाने पहुंचे. यहां मदद करने की बजाय पुलिस अफसरों ने दंपत्ति को परेशान करना शुरू कर दिया.
पीड़िता के मुताबिक, एक पुलिस अफसर ने उसके मंगेतर आर्मी अफसर को लॉकअप में डाल दिया. इसके बाद उसके पैर दुपट्टे से और हाथ उसकी जैकेट से बांध दिए. फिर कथित तौर पर पांच पुलिसकर्मियों ने उसका दुष्कर्म किया.
घटना की जानकारी मिलने के बाद भारतीय सेना ने इसे गंभीरता से लिया है और मामले में राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है. इसके बाद महिला की सैम अस्पताल में मेडिकल जांच कराई गई, जिसमें मारपीट की पुष्टि हुई. इस मामले में कार्रवाई करते हुए ओडिशा पुलिस ने आईआईसी दीनकृष्ण मिश्रा, सब-इंस्पेक्टर बैसलिनी पांडा, असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर सलिलामयी साहू और सागरिका रथ और कांस्टेबल बलराम हांडा को निलंबित कर दिया है. सेना अधिकारी द्वारा औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के बाद पांचों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आधिकारिक तौर पर एफआईआर दर्ज की गई है.
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यहां जानें पूरा घटनाक्रम:
14 सितंबर: सेना अधिकारी अपनी मंगेतर के साथ भुवनेश्वर के एक रेस्टोरेंट से घर लौट रहा था. इस दौरान बदमाशों ने उसका पीछा किया और उसे परेशान किया.
15 सितंबर: रात 1.30 से 3 बजे के बीच वे मदद के लिए भरतपुर पुलिस स्टेशन पहुंचे, जहां सेना अधिकारी की मंगेतर के साथ यौन उत्पीड़न किया गया.
16 सितंबर: घटना की जानकारी मिलने के बाद सेना ने ओडिशा सरकार से कार्रवाई की मांग की.
17 सितंबर: सरकार ने मामले को अपराध जांच विभाग (CID) को सौंप दिया और उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए.
18 सितंबर: घटना में शामिल पांच पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया और बाद में उन्हें निलंबित कर दिया गया.
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19 सितंबर: ओडिशा उच्च न्यायालय ने उस महिला को जमानत दे दी, जिस पर पुलिस ने झूठा आरोप लगाया था और उसे गिरफ्तार किया था. जेल से रिहा होने के बाद उसने मीडिया को अपनी आपबीती सुनाई.
20 सितंबर: सेना के एक अधिकारी द्वारा औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के बाद पांच पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आधिकारिक तौर पर एफआईआर दर्ज की गई.