मुंबई: उद्योगपति अनिल अंबानी ने पत्र लिखकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया है. अनिल अंबानी ने राहुल के आरोपों को नकारते हुए कहा कि फ्रांसीसी समूह डसॉल्ट द्वारा उनकी कंपनी को राफेल सौदे में भागीदारी बनाने में मोदी सरकार का कोई रोल नहीं है बल्कि उनके समूह की काबिलियत के दम पर सबकुछ हुआ है.
अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के चेयरमैन ने यह पत्र पिछले साल 12 दिसंबर को लिखा था. अंबानी ने कहा, "हमारे पास न सिर्फ अनुभव है, बल्कि हम रक्षा निर्माण के कई क्षेत्रों में प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से काफी आगे भी हैं." यह पत्र उन्होंने गुजरात चुनाव के दौरान लिखा था क्योकि चुनाव अभियान के दय्रण राफेल सौदे को लेकर काफी हो-हल्ला हो रहा था.
दरअसल राहुल गांधी और उनकी पार्टी ने रिलायंस समूह पर कई बार मोदी सरकार के साथ साठगांठ कर अरबों डॉलर का सौदा हड़पने के आरोप लगाए है. राहुल ने इससे पहले कहा था कि रक्षा सामग्री निर्माण के लिए मोदी सरकार ने डसॉल्ट और रिलायंस डिफेन्स को अनुमति दी है, जबकि इन्हें इस क्षेत्र में काम करने का विशेष अनुभव नहीं है.
दो पन्नों के अपने पत्र में अंबानी ने कांग्रेस के साथ अपने रिश्तों का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं द्वारा उनके तथा समूह के खिलाफ बयानों से दुखी हैं. उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला अंतर सरकार करार के तहत किया गया है. उन्होंने कहा कि इन 36 लडाकू विमानों का विनिर्माण फ्रांस में होगा और उनकी डिलिवरी डसॉल्ट विनिर्माण कारखाने से 'फ्लाई अवे' आधार पर भारतीय वायुसेना को की जाएगी. इसमें भारतीय कंपनी की कोई भूमिका नहीं है.
अंबानी ने कहा कि डसॉल्ट ने रिलायंस समूह को संयुक्त उपक्रम भागीदार के रूप में अपनी आफसेट या भारत से निर्यात की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए चुना है. यह दो निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच स्वतंत्र समझौता है और इसमें सरकारों की कोई भूमिका नहीं है.