नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार को लोकसभा (Lok Sabha) में नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) पेश किया. संसद में बिल के पेश होते ही विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया. जिसके बाद शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) किसी भी तरह से देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस बिल को विपक्ष पहले से ही अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बता रहा है.
लोकसभा में विपक्षी सांसदों के हंगामे पर गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कहा कि वह हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है. विपक्ष को बोलने का पूरा मौका दिया जाएगा. उन्होंने कहा ‘अभी बिल पेश कर रहे हैं और विपक्षी सांसदों के एक-एक सवालों का जवाब देंगे, तब आप वॉकआउट मत करिएगा.’ उन्होंने आगे कहा कि यह बिल 0.001 प्रतिशत भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. नागरिकता संशोधन बिल: शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने अमित शाह को लिखा पत्र, कहा- शिया समाज को भी लिस्ट में करें शामिल
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम जहां इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की व्यवस्था लागू है उसे सीएबी के दायरे से बाहर रखा जाएगा, जिसको लेकर 2019 के आम चुनाव में इलाके में राजनीतिक विवाद पैदा हुआ. आईएलपी भारत सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जिसके तहत सुरक्षित इलाके में एक सीमित अवधि के लिए भारत के नागरिकों को यात्रा की अनुमति प्रदान की जाती है.
Lok Sabha: Congress MP Adhir Ranjan Chowdhury on #CitizenshipAmendmentBill," It nothing but a targeted legislation over minority people of our country". Union Minister Amit Shah says, "This Bill is not even .001% against minorities in the country". pic.twitter.com/vMBwDz5dVk
— ANI (@ANI) December 9, 2019
सूत्रों ने बताया कि नागरिकता संशोधन बिल में असम, मेघालय और त्रिपुरा के जनजातीय इलाकों को छोड़ दिया जाएगा. ये ऐसे जनजातीय इलाके हैं जहां संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषद व जिले बनाए गए हैं.
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश में उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों को नागरिकता संशोधन बिल 2019 के तहत भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी. हालांकि इस बिल से मुस्लिमों को बाहर रखने को लेकर तमाम विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. विपक्ष का दावा है कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया यह बिल असंवैधानिक है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)