14 अप्रैल को देश भर में बाबा साहेब अंबेडकर (Babasaheb Ambedkar) की जयंती मनाई जाती है. इस बार 14 अप्रैल को उनकी 128 वीं जयंती मनाई जाएगी. इस दिन की तैयारियां काफी दिनों पहले ही शुरू हो जाती है. 14 अप्रैल 1891 को उनका जन्म मध्यप्रदेश के गांव महू में हुआ था. बाबा साहेब अंबेडकर का मूल नाम भीमराव था. उनके पिताजी रामजी वल्द मालोजी सकपाल महू में एक सैनिक अधिकारी थे. 14 अप्रैल 1891 को जब बाबा साहेब का जन्म हुआ तब वो ड्यूटी पर थे. उनकी परवरिश धार्मिक माता पिता के अनुसाशन में हुई. बाबासाहेब का प्राथमिक शिक्षण दापोली और सतारा में हुआ. बंबई के एलफिन्स्टोन स्कूल से उन्होंने 1907 में मैट्रिक की परीक्षा पास की. 14 अप्रैल को समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. क्योंकि बाबा साहेब ने अपनी पूरी जिंदगी समानता और पिछड़ी जाति के लोगों की शिक्षा में संघर्ष करते हुए लगा दी. इसलिए इस दिन को वैश्विक स्तर पर भी मनाया जाता है.
डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का पिता माना जाता है. उन्होंने संविधान की ड्राफ्टिंग की थी. भारतीय संविधान में नियम के जरिए उन्होंने निम्न वर्ग के लोगों को समाज में समानता दिलाई और ऊंच नीच को जड़ से हटाया. डॉ. भीमराव अंबेडकर का भारत के विकास में बड़ा योगदान रहा है. एक अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, शिक्षाविद् और कानून के जानकार के तौर पर उन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखी थी. इसलिए पूरे देश में उनकी जयंती बहुत ही धूम धाम से मनाई जाती है. इस दिन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
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आंबेडकर जयंती संपूर्ण विश्व में मनाई जाती हैं. अधिकांश रूप से आंबेडकर जयंती भारत में मनाई जाती है, भारत के हर राज्य और जिले के लाखों गावों में मनाई जाती हैं. भारतीय समाज, लोकतंत्र, राजनिती आदी में भीमराव आंबेडकर का गहरा प्रभाव पड़ा हैं. भारत को एक स्वतंत्र चुनाव आयोग भी डॉ. भीमराव अंबेडकर की ही देन है.