
Air India Plane Crash: 12 जून को अहमदाबाद से उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर (फ्लाइट AI171) का ब्लैक बॉक्स अब जांच का केंद्र बन गया है. लेकिन ताजा जानकारी के मुताबिक, ब्लैक बॉक्स को नुकसान पहुंचा है, जिससे डेटा निकालना मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार इसे अमेरिका भेजने पर विचार कर रही है, ताकि उन्नत तकनीक से जांच को आगे बढ़ाया जा सके. ब्लैक बॉक्स अब सिर्फ एक उपकरण नहीं, बल्कि AI171 हादसे के हर सवाल का जवाब है. इसके जरिए ना सिर्फ ये पता चलेगा कि 36 सेकंड में क्या-क्या घटा, बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम साबित हो सकता है.
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हाल ही में 9 अप्रैल को नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने दिल्ली के ‘उड़ान भवन’ में एक अत्याधुनिक ब्लैक बॉक्स लैब का उद्घाटन किया था. लगभग 9 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह सुविधा भारत को विमान दुर्घटनाओं की जांच में आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थापित की गई थी. लेकिन इस बार ब्लैक बॉक्स को पहुंचे नुकसान के कारण, इसे वॉशिंगटन डीसी स्थित अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) भेजा जा सकता है, जहां बेहतर उपकरणों की मदद से डेटा निकालने की कोशिश होगी.
सरकार के मुताबिक, अगर ब्लैक बॉक्स अमेरिका भेजा गया तो भारतीय विशेषज्ञों की एक टीम साथ जाएगी ताकि सभी प्रक्रियाएं सही ढंग से हों.
क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स असल में दो उपकरणों से मिलकर बना होता है: Cockpit Voice Recorder (CVR) – जो पायलटों की बातचीत, अलार्म, रेडियो कॉल आदि रिकॉर्ड करता है. Flight Data Recorder (FDR) – जो फ्लाइट की ऊंचाई, गति, दिशा, इंजन की स्थिति जैसे हजारों पैरामीटर रिकॉर्ड करता है. हालांकि नाम ‘ब्लैक बॉक्स’ है, लेकिन यह चमकीले नारंगी रंग का होता है, ताकि मलबे में आसानी से खोजा जा सके.
कैसे हुआ था हादसा? जानिए पूरा घटनाक्रम
- 1:39 PM, 12 जून: फ्लाइट AI171 ने अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के लिए उड़ान भरी.
- 600 फीट से कम ऊंचाई पर पहुंचते ही विमान की चढ़ाई थम गई.
- 36 सेकंड बाद, पायलट कैप्टन सुमीत सबरवाल ने “Mayday” कॉल दी – जो कि गंभीर खतरे का संकेत है.
- कुछ ही सेकंड में रेडियो साइलेंस हो गया और विमान मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर जा गिरा.
- हादसे में विमान में मौजूद 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई. सिर्फ एक यात्री, सीट 11A पर बैठे ब्रिटिश-भारतीय नागरिक जीवित बचे.
- हादसे में ग्राउंड पर मौजूद 33 अन्य लोगों की जान भी गई.
क्या बताएगा ब्लैक बॉक्स?
CVR से पता चलेगा कि आखिरी पलों में कॉकपिट में क्या हो रहा था. पायलट और को-पायलट के बीच की बातचीत, उनकी मानसिक स्थिति, अलार्म की आवाज़ें और अंतिम निर्णय इस रिकॉर्डर से सामने आएंगे. FDR से यह जानकारी मिलेगी कि विमान किस तरह उड़ रहा था. उसकी रफ्तार, ऊंचाई, कोण और पायलट द्वारा लिए गए तकनीकी निर्णय क्या थे. ये दोनों रिकॉर्डर हादसे की असली वजह को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
आखिर क्यों जरूरी है यह जांच?
इतनी भयावह दुर्घटना में अगर ब्लैक बॉक्स की जानकारी पूरी तरह सामने नहीं आई, तो न केवल पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिलने में देर हो सकती है, बल्कि भारत की एविएशन सुरक्षा प्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ सकते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि ब्लैक बॉक्स से हर संभव जानकारी निकाली जाए.