COVID वैक्सीनेशन को लेकर देश के दो शीर्ष डॉक्टरों ने बताई बेहद अहम बात, जिस पर सरकार बना सकती है अपनी आगे की स्ट्रेटजी
भारत में बीते कुछ दिनों से कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है, हालांकि अभी भी स्थिति भयावह बनी हुई है. महामारी से निजात पाने के लिए राष्ट्रव्यापी वैक्सीनेशन अभियान तेजी से चल रहा है, हालांकि कम समय में अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन देने मेंकई रुकावटे भी आ रही हैं.
नई दिल्ली: भारत में बीते कुछ दिनों से कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है, हालांकि अभी भी स्थिति भयावह बनी हुई है. महामारी से निजात पाने के लिए राष्ट्रव्यापी वैक्सीनेशन अभियान तेजी से चल रहा है, हालांकि कम समय में अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन देने मेंकई रुकावटे भी आ रही हैं. इसके बावजूद तीसरे चरण के तहत अब तक कोविड-19 रोधी वैक्सीन की 18 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है. इस बीच कोरोना वैक्सीनेशन की स्ट्रेटजी को लेकर देश के दो शीर्ष डॉक्टरों ने बेहद अहम बात बताई है.
एम्स (AIIMS) निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) ने कहा की वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीन की हमेशा कुछ ना कुछ कमी होगी. संभवत दो महीने में बड़ी संख्या में वैक्सीन उपलब्ध होगी क्योंकि वैक्सीन उत्पादक कंपनियां अपने उत्पादन प्लांट खोलना शुरू कर देंगी और बाहर से भी हमें वैक्सीन मिलेगी.
गुलेरिया ने कहा “हम एक या दो या एक महीने में सभी का वैक्सीनेशन नहीं कर पाएंगे. इसलिए मुझे लगता है कि हमें 2, 3 या 4 महीने बाद युवा आयुवर्ग के लोगों के वैक्सीनेशन के लिए अपॉइंटमेंट देना चाहिए, रणनीति विकसित करनी चाहिए. जिससे वैक्सीनेशन की रणनीति के हिसाब से अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाया जा सके.” डॉ रेड्डीज से स्पुतनिक वैक्सीन की दो महीनों में 3.6 करोड़ खुराक मिलने की उम्मीद
उन्होंने कहा “वैक्सीन स्ट्रेटजी का एक हिस्सा है, हमें स्वास्थ्य के अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर और कोविड उपयुक्त व्यवहार को सुनिश्चित करना होगा. उन्होंने बुजुर्गों और किसी बिमारी से पीड़ित लोगों को वैक्सीन पहले लगाने की वकालत की.
वहीं, मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) के चेयरमैन डॉक्टर नरेश त्रेहन (Dr Naresh Trehan) ने कहा कि वर्तमान में वैक्सीन के लिए पैनिक करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा “मेरा विचार है कि जहां कोरोना के हॉटस्पॉट हैं वहां छह हफ़्ते में वैक्सीन लगनी चाहिए लेकिन जहां केस कम हो रहे है वहां डोज के बीच का समय बढ़ाया जा सकता है.”
देश में अब तक केवल दो वैक्सीन को इस्तेमाल में लाया जा रहा है. भारत बायोटेक की कोवक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा बनाई जा रही कोविशील्ड ही मुख्यतौर पर इस्तेमाल में लाई जा रही है. जबकि डॉ रेड्डीज लैब ने शुक्रवार को स्पुतनिक वी वैक्सीन को भारतीय बाजार में पेश किया है. स्पुतनिक वी वैक्सीन को भारत में हरी झंडी मिल चुकी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को घोषणा की कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ रूस की वैक्सीन स्पुतनिक वी अगले सप्ताह की शुरूआत में देश भर के बाजारों में उपलब्ध होगी. सरकार की ओर से यह घोषणा रूस से हैदराबाद में स्पुतनिक वी वैक्सीन की 150,000 खुराक की पहली खेप पहुंचने के 12 दिन बाद सामने आई है.
स्पुतनिक वी को रूस के गामालेया नेशनल सेंटर द्वारा विकसित किया गया है. यह भारत में ऐसे समय में इस्तेमाल होने वाला तीसरा वैक्सीन होगा, जब देश दूसरी लहर की चपेट में है, जो कि काफी खतरनाक है. इस बीच भारत में वैक्सीन की मांग काफी बढ़ गई है. केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि अगस्त से दिसंबर 2021 की पांच माह की अवधि में दो अरब से अधिक वैक्सीन देश में उपलब्ध होंगे जो कि समूची आबादी को वैक्सीन लगाने के लिये काफी होंगे.