Kashi Vishwanath Corridor: काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के बनने के बाद बनारस के मंदिरों की कमाई बढ़ी

देवों के देव महादेव की नगरी बनारस श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के भव्य निर्माण के बाद मंदिरों की कमाई में भी इजाफा हुआ है. मंदिर प्रशासन की मानें तो दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं ने न सिर्फ विश्वनाथ मंदिर में दान चढ़ावा दिया है

Kashi Vishwanath | Wikimedia Commons

वाराणसी, 9 अप्रैल: देवों के देव महादेव की नगरी बनारस श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के भव्य निर्माण के बाद मंदिरों की कमाई में भी इजाफा हुआ है. मंदिर प्रशासन की मानें तो दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं ने न सिर्फ विश्वनाथ मंदिर में दान चढ़ावा दिया है, बल्कि अन्य मंदिरों की आमदनी भी बढ़ी है. काशी विश्वनाथ के पुजारी श्रीकांत मिश्रा कहते हैं कि जबसे बाबा का धाम बना है तो यहां भक्तों की संख्या में दस गुना बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही मंदिर की भी आमदनी बढ़ी है. यह भी पढ़ें: Eknath Shinde Ayodhya Visit: अयोध्या में सीएम एकनाथ शिंदे ने रामलला के किए दर्शन; राम मंदिर के सहारे उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना, कही ये बात

श्रीकांत मिश्रा के अनुसार, यहां पर भक्तों की संख्या बढ़ने के साथ अन्य मंदिरों की इनकम भी निश्चित तौर पर बढ़ी है. उन्होंने कहा कि धर्मस्थलों के उन्नयन के बाद जो भी लोग आते हैं, यहां के पौराणिक मंदिरों में जाते है. सब मंदिरों का अपना महत्व है. यहां पर कुल 15 पुजारी हैं. सबके वेतनमान निर्धारित हैं. मंदिर का चढ़ावा कोष में जाता है. यहां महंत कोई नहीं है. 1983 के बाद यह सरकार के अंडर में है. आयुक्त, इसकी गवनिर्ंग बाडी के चेयरमैन होते हैं.

श्रीकांत ने बताया काशी विश्वनाथ मंदिर करीब 350 वर्ष पुराना है. इसे अहिल्या बाई होलकर ने बनवाया था. इसकी शिवलिंग अनादि है इसके बारे में किसी के पास कोई आकलन नहीं है. धाम बनने के बाद स्थान में आमूल चूल परिवर्तन हो गया. अब भक्तों को गंदी गलियों से नहीं गुजरना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कॉरिडोर बनने के बाद कहें कि हर सेक्टर को बढ़ावा मिला है. काशी के प्रमुख मंदिर जैसे काशी कोतवाल, संकट मोचन, दुर्गा मंदिर, केदार मंदिर, सभी में भक्तों की संख्या और आमदनी भी बढ़ी है.

काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव के महंत नवीन गिरी ने बताया कि काशी विश्वनाथ आने वाले लोग 25 प्रतिशत मंदिर जरूर आते हैं. अब मन्दिर की आमदनी में दो गुना की वृद्धि हुई है. यहां शिफ्ट के हिसाब से पुजारी की ड्यूटी लगती है. मंदिर के सेवा भोग के लिए पैसे पारी वाला व्यक्ति देता है. इसके अलावा आसन भी लगता है.

मंदिर में 200 लोगों का पुजारी का परिवार है. इसके अलावा 200 लोग पंडे के परिवारों के हैं. इसका पूरा खर्च यहीं से चलता है. पहले रविवार और भैरव अष्टमी में भीड़ होती थी. लेकिन अब अनुमान के हिसाब से 10 हजार की भीड़ रोज आती है. इसमें तकरीबन 80 हजार रुपए आते हैं. इसके अलावा रविवार को कमाई कुछ और बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि कॉरिडोर व्यापार के लिए एक आशीर्वाद है. गिरी कहते हैं कि उन्हें तीन बार प्रधानमंत्री का पूजन कराने का अवसर मिला है. उन्होंने इस बार दक्षिणा भी दी है.

काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि धाम के लोकार्पण से दिसंबर 2022 तक श्रद्धालुओं द्वारा लगभग 50 करोड़ से अधिक की नकदी दान की है। इसमें से 40 प्रतिशत धनराशि ऑनलाइन सुविधाओं के उपयोग से प्राप्त हुई है। वहीं श्रद्धालुओं द्वारा लगभग 50 करोड़ से अधिक की बहुमूल्य धातु 60 किलो सोना, 10 किलो चांदी और 1500 किलो तांबा भी दान किया गया है. आस्थावानों द्वारा दिये गये सोना व तांबे का प्रयोग कर गर्भगृह की बाहरी एवं आंतरिक दीवारों को स्वर्ण मंडित किया गया है.

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के अधिकारी के अनुसार 13 दिसम्बर, 2021 से लेकर 2022 तक श्रद्धालुओं द्वारा 100 करोड़ रुपए से अधिक का अर्पण किया गया, जो मंदिर के इतिहास में सर्वाधिक है. साथ ही गत वर्ष की तुलना में ये राशि लगभग 500 प्रतिशत से अधिक है. सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि लोकार्पण के बाद से लेकर अबतक मंदिर में 7.35 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किया है.

संकट मोचन के महंत विशम्भरनाथ मिश्रा कहते हैं कि बनारस में इस पूरे साल संख्या बढ़ी है. यहां पर टूरिज्म के प्रमोशन के कारण विजिटर की संख्या बढ़ गई है. यहां पारंपरिक चीजें पहले की तरह ही चल रही हैं. उन्होंने कहा कि संकट मोचन में शनिवार और मंगलवार को भीड़ रहती है. जाहिर सी बात है जो बनारस आएगा तो मंदिर की तरफ आकर्षण होगा, वही इसमें एड हो जाते हैं.

कॉरिडोर बनने के बाद बनारस में आने वालों की संख्या में इजाफा होने की बात को विशंभरनाथ मिश्रा नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि इसका कोई असर नहीं है, कॉरिडोर का कॉन्सेप्ट आने से बनारस के हृदय स्थली के कई पौराणिक मंदिर गायब हो गए हैं. सुमुख विनायक, दुर्मुख विनायक, शनिदेव का मंदिर, हनुमान जी के कई विग्रह जैसे मंदिरों का उदाहरण देते हुए उन्होंने पूछा कि आज ये सब कहां है, अब मिलेगा कहीं. उन्होंने कहा कि बहुत सारे विजिटर आते हैं वो कहते हैं कि यहां से देवत्य का अहसास गायब हो गया है. पहले लोग कहते थे कि विश्वनाथ का दर्शन करने जा रहे हैं, अब कहते हैं कि कॉरिडोर देखने जा रहे हैं.

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