मुंबई, 28 अगस्त: मुंबई महा नगरपालिका (Mumbai Municipal Corporation) आयुक्त इकबाल सिंह चहल (Iqbal Singh Chahal) ने शहर के लिए एक भयावह भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि 2050 तक, कारोबारी जिले नरीमन प्वाइंट (Nariman Point) और राज्य सचिवालय ‘मंत्रालय’ (Secretariat 'Ministry') सहित दक्षिण मुंबई का एक बड़ा हिस्सा समुद्र तल बढ़ने के कारण पानी के नीचे चला जाएगा. महाराष्ट्र पर्यावरण एवं पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya Thakre) द्वारा शुक्रवार को मुंबई जलवायु कार्य योजना और इसकी वेबसाइट के उद्घाटन के अवसर पर, चहल ने कहा कि शहर के दक्षिण मुंबई में ए, बी, सी और डी वार्ड का 70 प्रतिशत हिस्सा जलवायु परिवर्तन के कारण जलमग्न (submerged) हो जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रकृति चेतावनियां देती रही है, लेकिन अगर लोग नहीं ''जागे'' तो स्थिति ''खतरनाक'' हो जाएगी. यह भी पढे: Weather Forecast: इन राज्यों में 31 अगस्त तक भारी बारिश का अनुमान, जानें मौसम का पूरा हाल
उन्होंने कहा, “कफ परेड, नरीमन प्वाइंट और मंत्रालय जैसे अस्सी फीसदी इलाके पानी में होंगे..मतलब गायब होने जा रहे हैं. ”नगरपालिका आयुक्त ने यह भी कहा कि यह महज 25-30 साल की बात है क्योंकि 2050 बहुत दूर नहीं है. चहल ने चेताया, “हमें प्रकृति से चेतावनियां मिल रही हैं और अगर हम नहीं जागते हैं तो अगले 25 साल के लिए खतरनाक स्थिति होगी. और इससे न सिर्फ अगली पीढ़ी बल्कि मौजूदा पीढ़ी भी प्रभावित होगी. ”उन्होंने कहा कि मुंबई दक्षिण एशिया का पहला शहर है जो अपनी जलवायु कार्य योजना तैयार कर उस पर कार्य कर रहा है. चहल ने कहा कि पिछले साल 129 साल में पहली बार कोई चक्रवात (निसर्ग) मुंबई से टकराया और उसके बाद पिछले 15 महीनों में तीन चक्रवात आए हैं। उसके बाद पांच अगस्त, 2020 को नरीमन प्वाइंट पर करीब 5 से 5.5 फुट पानी जमा हो गया.
उन्होंने कहा, "उस दिन चक्रवात की कोई चेतावनी नहीं थी, लेकिन मापदंडों को देखते हुए, यह एक चक्रवात ही था. "इस बात पर विशेष जोर डालते हुए कि शहर ने हाल ही में कुछ बेहद प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों का सामना किया है, उन्होंने कहा कि शहर ने मुंबई में ताऊते चक्रवात का सामना किया और 17 मई को 214 मिमी बारिश हुई, जबकि मॉनसून यहां छह या सात जून को आता है. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने एक विज्ञप्ति में कहा कि मुंबई जलवायु कार्य योजना (एमसीएपी) के तहत, बढ़ती जलवायु अनिश्चितता को देखते हुए आंकड़ों के मूल्यांकन में उन क्षेत्रों और समुदायों की पहचान की गयी है जो सबसे अधिक असुरक्षित हैं.
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