भारत में सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं से 2024 में दस हजार बच्चों की मौत हुई. अब सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों के इलाज के लिए एक नई योजना लाई गई है.पिछले साल, सड़क दुर्घटनाओं में एक लाख 80 हजार लोगों ने जान गंवाई. इनमें से 66 फीसदी लोग 18 से 34 साल के बीच के थे. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं हाईवे मंत्री नितिन गडकरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को यह जानकारी दी. गडकरी के यूट्यूब चैनल पर इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो मौजूद है, जिसमें उन्होंने यह भी बताया है कि पिछले साल 30 हजार लोगों की मौत हेलमेट ना पहनने के चलते हुई. इस हिसाब से देखें तो भारत में पिछले साल हर दिन औसतन 80 लोगों ने हेलमेट नहीं पहनने के चलते जान गंवाई.
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सड़क दुर्घटनाओं में दस हजार बच्चों की हुई मौत
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की प्रेस रिलीज के मुताबिक, छह और सात जनवरी को केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने दिल्ली में एक कार्यशाला का आयोजन किया. इसके दूसरे दिन सात जनवरी को हुई बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परिवहन मंत्री शामिल हुए. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस बैठक की अध्यक्षता की. कार्यशाला में सुरक्षित और टिकाऊ परिवहन से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई.
बैठक के बाद, गडकरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि स्कूल-कॉलेजों में घुसने और बाहर निकलने वाली जगहों पर पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के चलते पिछले साल दस हजार बच्चों ने जान गंवाई. उन्होंने कहा कि स्कूलों के लिए चलने वाले ऑटोरिक्शा और मिनी बसों को लेकर भी नियम बनाए गए हैं क्योंकि इनकी वजह से भी काफी मौतें होती हैं.
घायलों के लिए कैशलेस ट्रीटमेंट की घोषणा
सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों के इलाज के लिए एक नई योजना शुरू की गई है. गडकरी ने मीडिया को बताया कि दुर्घटना होने के 24 घंटे के अंदर अगर पुलिस को इस बारे में सूचित कर दिया जाता है तो घायल व्यक्ति के सात दिनों के इलाज का खर्चा सरकार उठाएगी. इस खर्च की अधिकतम सीमा डेढ़ लाख रुपए तय की गई है. इलाज के लिए यह रकम सरकार की ओर से सीधे अस्पताल को दी जाएगी.
पिछले साल असम, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और पुडुचेरी में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया था. दिसंबर 2024 में संसद में दिए एक जवाब में परिवहन मंत्रालय ने बताया था कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत करीब 2,200 घायलों को कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा दी गई. अब इसी पायलट प्रोजेक्ट को देश भर में लागू कर दिया गया है.
इसके अलावा, हिट एंड रन दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को दो लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की गई है. परिवहन मंत्रालय द्वारा सड़क दुर्घटनाओं पर जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में देश में हिट एंड रन की करीब 67 हजार दुर्घटनाएं हुईं थीं, जिनमें 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी. साल 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में हुई 18 फीसदी मौतों के लिए हिट एंड रन की घटनाएं ही जिम्मेदार थीं.
भारत में प्रशिक्षित ड्राइवरों की कमी
गडकरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बैठक में पहला महत्वपूर्ण मुद्दा सड़क सुरक्षा का था और दूसरा मुद्दा ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर का था. उन्होंने कहा कि देश में 22 लाख ड्राइवरों की कमी है और इसे पूरा करने के एक नई नीति बनाई गई है. इसके तहत, सरकार की ओर से ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट और ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इस योजना का उद्देश्य, ड्राइवरों को प्रशिक्षित करके सड़कों को सुरक्षित बनाना है.
देश में ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई. प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की प्रेस रिलीज के मुताबिक, इस बात पर सहमति बनी कि ई-रिक्शा को ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए नियम और दिशानिर्देश जारी करने की जरूरत है. इसके अलावा, बैठक में तीन एप्लिकेशनों का लाइव डेमो भी दिखाया गया जो सड़क को सुरक्षित बनाने और ब्लैक स्पॉट पहचानने में मदद कर सकते हैं.