7th Pay Commission News: केंद्र सरकार के रिटायर्ड कर्मचारियों का साल 2020 में फ्रीज हुए महंगाई राहत (Dearness Relief) का भुगतान पिछले साल किया जा चुका है. लेकिन, उस अवधि (जनवरी 2020 से जून 2021 तक) के डीआर एरियर का भगतान आज तक नहीं हुआ. हालांकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि कोविड-19 महामारी के कारण बने आर्थिक हालात के चलते 18 महीने तक इसे रोका गया था. ऐसे में महंगाई राहत की उन तीन किस्तों का पैसा नहीं दिया जाएगा. 7th CPC: लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, 1 जुलाई से सैलरी बढ़ना लगभग तय!
हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह बिना किसी भेदभाव के राज्य के विभिन्न परिवहन निगमों के कर्मचारियों के बकाया पेंशन का भुगतान छह महीने के भीतर करे. जस्टिस सी श्रवणन ने कहा, ‘‘मैं 26 अगस्त 2019 को जारी सरकारी आदेश (जीओ) के संदर्भ में इन सभी रिट याचिकाओं पर विचार करने की अनुमति देता हूं. अधिकारी एक जनवरी 2016 से 31 मार्च 2018 के बीच सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जो अर्हता रखते हैं उन्हें पेंशन और महंगाई भत्ता वृद्धि का भुगतान एक जनवरी 2016 के प्रभाव से और 28 अगस्त 2019 के पूर्वव्यापी प्रभाव से छह महीने के भीतर करेंगे.’’
इसके साथ ही कोर्ट ने परिवहन निगमों के रिटायर्ड अधिकारियों के संघ द्वारा इसके अध्यक्ष एस रंगनाथन के जरिये दायर याचिका और सात अन्य संघों की रिट याचिकाओं को विचारार्थ स्वीकार कर लिया. याचिकाओं में कोर्ट से अनुरोध किया गया था कि वह सरकार को तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम कर्मचारी पेंशन कोष न्यास में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराने और सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के तहत एक सितंबर 1998 से 31 दिसंबर 2015 के बीच रिटायर हुए कर्मियों को संशोधित पेंशन का भुगतान करने का निर्देश दे.
वहीं, एक अन्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन को एक सतत दावा प्रक्रिया करार देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का पेंशन बकाया न देने संबंधी एक फैसला खारिज कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह मानने के बावजूद पेंशन बकाया रोकने का फैसला दिया कि याचिकाकर्ताओं को 60 साल के बजाय 58 साल की उम्र में गलत तरीके से रिटायर कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि हालांकि हाईकोर्ट ने माना था कि मूल याचिकाकर्ताओं को 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने की कार्यवाही या उन्हें 60 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रहने की अनुमति नहीं देने का गोवा सरकार का कदम अवैध था, लेकिन उसने यह निर्णय देकर गलती की थी कि अपीलकर्ता पेंशन के किसी भी बकाये का हकदार नहीं होंगे.