'दूरदर्शन' जिसकी दर्शकता आज भी सर्वोपरि है! जानिये Doordarshan की 60 वर्षों की रोचक कहानी

शहद की मक्खियों की तरह प्राइवेट चैनलों की बढ़ती भीड़ के बाद शहरी क्षेत्रों में भले ही दूरदर्शन के प्रति दर्शकों का आकर्षण अथवा लोकप्रियता में गिरावट आई हो, मगर संपूर्ण भारत के नजरिये से आकलन करें तो पायेंगे कि आज भी दूरदर्शन की दर्शकता किसी भी प्राइवेट चैनल से कहीं ज्यादा है.

दूरदर्शन के 60 साल (Photo Credits- Twitter)

शहद की मक्खियों की तरह प्राइवेट चैनलों की बढ़ती भीड़ के बाद शहरी क्षेत्रों में भले ही दूरदर्शन के प्रति दर्शकों का आकर्षण अथवा लोकप्रियता में गिरावट आई हो, मगर संपूर्ण भारत के नजरिये से आकलन करें तो पायेंगे कि आज भी दूरदर्शन (Doordarshan) की दर्शकता किसी भी प्राइवेट चैनल से कहीं ज्यादा है. 15 सितंबर 1959 के दिन भारत सरकार द्वारा नामित प्रसार भारती (Prasar Bharati) के सौजन्य शुरू हुआ दूरदर्शन आज अपनी 60वीं वर्षगांठ (60 Years of Doordarshan) मना रहा है. आइये जानें इन 60 वर्षों में दूरदर्शन ने क्या-क्या उपलब्धि हासिल की है.

‘टेलीविजन इंडिया’ बनाम ‘दूरदर्शन’

देश में दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर 1959 को नयी दिल्ली में एक प्रयोग की तरह आधे घंटे के कार्यक्रम के साथ शुरू किया गया था. यह कार्यक्रम शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में था. तब दूरदर्शन पर प्रसारण सप्ताह में मात्र तीन दिन आधे-आधे घंटे का होता था. उस समय इसका नाम ‘टेलीविजन इंडिया’ निर्धारित किया गया था. लगभग 16 साल के पश्चात इसे ‘दूरदर्शन’ नाम दिया गया. तब भले ही लिमिटेड कार्यक्रम दूरदर्शन दिखाता रहा हो, मगर इसकी लोकप्रियता देखकर बीबीसी जैसे न्यूज नेटवर्क वाले भी हैरान थे.

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प्रारंभ में दिल्लीवासियों के लिए दूरदर्शन और टीवी सेट कौतूहल का विषय हुआ करता था. बीतते वक्त के साथ-साथ दूरदर्शन ने भी अपने पांव पसारने शुरू किये. बड़े ट्रांसमीटर लगाये जाने के बाद दस सालों में चार महानगरों दिल्ली (1965), मुंबई (1972), कोलकाता (1975) चेन्नई, (1975) के लोगों को भी दूरदर्शन देखने का अवसर मिलने लगा.

एशियाई खेलों से श्वेत-श्याम दूरदर्शन को मिला कलर

दूरदर्शन में सही मायनों में क्रांति आई साल 1980 से. कारण था 1982 से दिल्ली में एशियाई खेलों का शुरू होना. एशियाई खेलों की शुरूआत होते-होते श्वेत श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया. एशियाई खेलों से दूरदर्शन को दुनिया भर में इस कदर लोकप्रियता प्राप्त हुई कि 1983 से पूरे देश में दूरदर्शन का नेटवर्क फैलता चला गया. शुरूआत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा अपने संसदीय क्षेत्र इलाहाबाद से हुई. इसके बाद शहर-दर-शहर दूरदर्शन का ट्रांसमीटर लगाने का सिलसिला शुरू हो गया.

‘हमलोग’ और ‘बुनियाद’ से ड्राइंगरूम में बनाई पैठ

दूरदर्शन के फैलते नेटवर्क को देखते हुए प्रसार भारती ने दूरदर्शन के लिए फैमिली ड्रामा वाले धारावाहिक बनाने शुरू किये. 7 जुलाई 1984 को पहला पारिवारिक धारावाहिक ‘हमलोग’ का प्रसारण शुरू हुआ. मध्यम घरों की आम कहानी की पृष्ठभूमि वाला यह धारावाहिक इस कदर लोगों को पसंद आया कि दूरदर्शन ने लोकप्रियता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये. 156 कड़ियों के बाद ‘हमलोग’ के बंद होने के बाद मई 1986 से बटवारे की पृष्ठभूमि पर बना धारावाहिक ‘बुनियाद’ शुरू हुआ. इस समय तक देश के अधिकांश शहरों में दूरदर्शन के ट्रांसमीटर लगाये जा चुके थे. विभाजन की त्रासदी पर बना ‘बुनियाद’ पूरे एक वर्ष तक चला.

दूरदर्शन की रीच लगातार बढती जा रही थी. ‘बुनियाद’ की शानदार लोकप्रियता के बाद दूरदर्शन के छोटे स्क्रीन पर विभिन्न विषयों पर आधारित धारावाहिक मसलन ‘मालगुड़ी डेज’, ‘ये जो है जिंदगी’, ‘रजनी’, ‘वाह जनाब’, ‘तमस’, ‘भारत एक खोज’, ‘व्योमकेश बख्शी’, ‘विक्रम बेताल’, ‘टर्निंग प्वाइंट’, ‘अलिफ लैला’, शाहरुख खान की ‘फौजी’, ‘देख भाई देख’ और फिल्मी गीतों से सजा संगीतमय प्रोग्राम ‘ आदि ने इन्हें गैर हिंदीभाषी राज्यों में भी लोकप्रिय बना दिया. अब तक दूरदर्शन देश के हर घरों के ड्राइंगरूम में अपनी गहरी पैठ बना चुका था.

‘रामायण’ और ‘महाभारत’ ने बदली फिजा

साल 1986 में दूरदर्शन पर रामानंद सागर का ‘रामायण’ फिर 1987 में बीआर चोपड़ा का ‘महाभारत’ शुरू हुआ. इन दोनों ही धारावाहिकों ने दूरदर्शन सेट का स्वरूप ही बदल दिया. इन धारावाहिकों के शुरू होते ही देश भर की सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था. कितने ही घरों में ‘रामायण’ शुरू होने से घर को धोकर साफ सुथरा किया जाता था और टीवी सेट के सामने अगरबत्ती एवं दीप जला दिये जाते थे. कितने लोग तो अपनी यात्राएं रद्द कर देते थे. ‘रामायण’ का एपीसोड खत्म होने के बाद प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होता था. कहने की जरूरत नहीं कि इन धार्मिक धारावाहिकों ने दूरदर्शन की फिजा ही बदल दी थी. इसके पश्चात दूरदर्शन ही नहीं दूसरे चैनलों पर भी धार्मिक धारावाहिकों की बाढ़ सी आयी है.

दूरदर्शन के बढ़ते कदम

प्राइवेट चैनलों की भीड़ से दूरदर्शन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. इसकी सबसे मुख्य वजह है दूरदर्शन की गाइड लाइन. अन्य प्राइवेट चैनलों पर जहां हिंसा, सेक्स, महिलाओं पर अत्याचार का खुला प्रदर्शन होता है, वहीं दूरदर्शन की अपनी गाइड लाइन होने के कारण पारिवारिक दर्शक दूरदर्शन को सबसे सहज और महफूज मानते हैं. साल दर साल दूरदर्शन विकास के पायदान चढ रहा है. 14 मार्च 1995 से डीडी ने अंतर्राष्ट्रीय चैनल की शुरूआत की. 23 नवंबर 1997 को प्रसार भारती के गठन के पश्चात 18 मार्च 1999 को दूरदर्शन ने डीडी स्पोर्ट्स की शुरूआत की. 26 जनवरी 2002 को सांस्कृतिक चैनल अस्तित्व में आया, जबकि 3 नवंबर 2002 को 24 घंटे के समाचार चैनल की शुरुआत हुई.

पिछले दिनों दूरदर्शन 11 और राज्यों में चैनल शुरू कर रहा है. कहा जाता है कि इनका डीडी डिश के माध्यम से निशुल्क प्रसारण किया जायेगा. इनमें पांच चैनल पूर्वोत्तर राज्यों के लिए होंगे. इसके अलावा हाल ही में दूरदर्शन ने अपने दर्शकों के लिए अमेजन इंडिया पर ऑनलाइन स्वेनियर स्टोर की शुरुआत की है. इसकी सफलता और डिमांड को देखते हुए, भारत की सार्वजनिक सेवा प्रसारक दूरदर्शन ने अमेजन इंडिया पर कप, टी-शर्ट और बोतल जैसे ब्रांडेड वस्तु बेचने के लिए ऑनलाइन स्टोर शुरू किया है.

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