MP: खीरा खाने के बाद 5 साल के बच्चे की मौत, फूड प्वाइजनिंग से 4 लोगों की हालत बिगड़ी, अस्पताल पर लापरवाही का आरोप

मध्य प्रदेश के रतलाम में खीरा खाने के बाद 5 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई, जबकि परिवार के अन्य चार सदस्य भी फूड प्वाइजनिंग के लक्षणों के चलते अस्पताल में भर्ती हुए हैं. पीड़ित परिवार ने अस्पताल के कर्मचारियों पर लापरवाही का भी आरोप लगाया है.

भोपाल: मध्य प्रदेश के रतलाम में खीरा खाने के बाद 5 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई, जबकि परिवार के अन्य चार सदस्य भी फूड प्वाइजनिंग के लक्षणों के चलते अस्पताल में भर्ती हुए हैं. इस घटना से स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया. पीड़ित परिवार ने अस्पताल के कर्मचारियों पर लापरवाही का भी आरोप लगाया है.

मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार की रात परिवार ने खाने में सलाद के रूप में "खीरा" खाया था. इसके बाद, बुधवार सुबह करीब 5 बजे सभी सदस्य उल्टी और पेट में दर्द की शिकायत करने लगे. परिवार के सभी सदस्यों को तत्काल स्थानीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान, 5 साल का बच्चा गंभीर स्थिति में था और उसे समय पर उपचार नहीं मिल सका, जिसके चलते उसकी मौत हो गई.

अस्पताल की लापरवाही 

परिवार ने आरोप लगाया कि अस्पताल में समय पर उचित उपचार नहीं किया गया. बुधवार को बच्चे की मृत्यु के बाद, परिवार ने थाने में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई है. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि बच्चे की मौत खाद्य विषाक्तता के कारण हुई है.

डॉक्टरों की राय 

रातलाम मेडिकल कॉलेज के एक महामारी विज्ञानी के अनुसार, सभी मरीजों को खाद्य विषाक्तता के लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती किया गया था. इलाज में देरी के कारण उनकी स्थिति गंभीर हो गई. रक्त के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि विषाक्तता का कारण क्या था.

परिवार की स्थिति 

बच्चे की मौत से परिवार में दुख की लहर है. परिवार में दो अन्य लड़कियाँ और माँ भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिनका इलाज जारी है. परिवार की सदस्यता से जुड़ी अन्य जानकारी के अनुसार, परिवार ने एक साथ खाना खाया था, जिसमें ककड़ी शामिल थी.

आगे की कार्रवाई 

इस दुखद घटना के बाद, पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. यह स्पष्ट नहीं है कि ककड़ी में विषाक्तता का कारण क्या था, लेकिन परिवार ने मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है. इस घटना ने स्वास्थ्य अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन को खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है.

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