नई दिल्ली: अयोध्या के राम मंदिर में जनवरी के महीने में संपन्न हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान, तिरुपति मंदिर से 300 किलो 'प्रसाद' का वितरण किया गया था. इस बात की पुष्टि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने की. यह खुलासा उस विवाद के बीच आया है जिसमें तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में इस्तेमाल किए गए घी में कथित रूप से जानवरों की चर्बी मिलने का आरोप लगा है.
आचार्य सत्येंद्र दास ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से कहा, "अगर 'प्रसाद' में जानवरों की चर्बी मिलाई गई है, तो यह अक्षम्य है. जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए."
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति मंदिर के 'प्रसाद' की गुणवत्ता पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती वाईएसआरसीपी सरकार के कार्यकाल में लड्डुओं के निर्माण के लिए घटिया घी का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने कहा कि यसर सरकार ने सस्ते दामों पर निम्न गुणवत्ता वाला घी खरीदा था, जिससे तिरुपति लड्डुओं की पवित्रता पर प्रश्न उठे.
टीडीपी द्वारा कराए गए लैब टेस्ट की रिपोर्ट में नायडू के आरोपों की पुष्टि की गई, जिसमें यह पाया गया कि घी में जानवरों की चर्बी, विशेषकर बीफ टैलों, लार्ड और मछली के तेल के अंश पाए गए. मंदिर प्रबंधन ने चार अलग-अलग परीक्षणों की पुष्टि की, जिसमें सभी में एक जैसे परिणाम सामने आए.
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम्स (TTD) ने खुलासा किया कि घी सप्लाई करने वाले ठेकेदार द्वारा घी में मिलावट की गई थी. इस ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू की गई है.
इस विवाद ने और जोर तब पकड़ा जब पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इन आरोपों को "राजनीतिक ध्यान भटकाने" और "मनगढ़ंत कहानी" बताया, जिसका उद्देश्य वर्तमान सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाना है.
यह मुद्दा धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों में गहराई से चर्चा का विषय बन गया है, और कई लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता को किसी भी सूरत में समझौता नहीं करना चाहिए.