26/11 Mumbai Terror Attack: आतंकी अजमल कसाब की फांसी की पूरी कहानी...

मुंबई हमले के इकलौता जिंदा पकड़े गए आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी देने के लिए मुंबई से पुणे ले जाने का अभियान अति गोपनीय था और कूट वाक्य से उसके पुणे जेल पहुंचने की पुष्टि की गई थी जहां दूसरे दिन उसे फांसी दे दी गई

लश्‍कर-ए-तैयबा का आतंकी अजमल आमिर कसाब

मुंबई: मुंबई हमले (26/11 Mumbai Terror Attack) के इकलौता जिंदा पकड़े गए आतंकवादी अजमल कसाब (Terrorist Ajmal Kasab) को फांसी देने के लिए मुंबई से पुणे (Pune) ले जाने का अभियान अति गोपनीय था और कूट वाक्य से उसके पुणे जेल पहुंचने की पुष्टि की गई थी जहां दूसरे दिन उसे फांसी दे दी गई. इस अभियान में शामिल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ‘पार्सल रिच्ड फॉक्स्ड’ (Parcel Richd Foksd) से पुष्टि की गई कि जिस वाहन से कसाब को ले जाया जा रहा था वह पुणे जेल पहुंच चुका है. अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि इस पूरे अभियान में इस तरह के सात कूट-शब्द और कूट-संदेश इस्तेमाल किए गए थे और ‘पार्सल रिच्ड फॉक्स्ड’ उनमें से एक था.

यह दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच का अंतिम कूट-संदेश था. इन कूट-शब्दों और कूट-वाक्यों को सिर्फ गिनती के लोग जानते थे जिनमें तत्कालीन गृह मंत्री आर. आर. पाटिल (Home Minister R. R. Patil) और कुछ शीर्ष पुलिस अधिकारी शामिल थे. कुछ चुनिंदा अधिकारियों को कसाब को आर्थर रोड (Arthur Road) जेल के ‘अंडा सेल’ से पुणे के यरवदा केन्द्रीय कारावास ले जाने की जिम्मेदारी थी.

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इसमें ‘फोर्स वन’ (Force One) कमांडो दल (Commando Team)के पुलिसकर्मी आधुनिक हथियारों से लैस हो कर कसाब के वाहन के साथ चल रहे थे. राज्य आरक्षित पुलिस के अधिकारियों का एक दल वाहन से कुछ पीछे था ताकि किसी को शक-शुब्हा नहीं हो. यह अभियान इतना गोपनीय था कि इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों के हैंडसेट और मोबाइल फोन बंद कर दिए गए थे. उन्हें एक बैक में बंद कर दिया गया था. बस दो हैंड सेट चल रहे थे.

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