बाढ़ के बाद केरल के लोगों पर अब इस संक्रामक बीमारी का कहर, 12 की मौत, 372 बीमार
केरल बाढ़ (Photo credits: twitter)

तिरुवनंतपुरम: बाढ़ का संकट झेलने के बाद अब केरल में संक्रामक बीमारी कहर बरपा रहा है. इस बीमारी की वजह से अबतक 12 लोगों के मौत की पुष्टी हो चुकी है जबकि 372  लोग इस बीमारी से पीड़ित बताए जा रहे है. इस बीमारी को रैट फीवर यानि लेप्टस्पाइरोसिस कहा जाता है. इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव कोझिकोड और वायनाड में हुआ है क्योकि ये दोनों ही जिले बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित रहे थे.

यह बीमारी जानवरों से इंसानों में संक्रमण से फैलाती है. इस बीमारी के फैलने का खतरा बाढ़ के दौरान सबसे अधिक होता है.  हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके रोकथाम के लिए अगस्त महीने में ही दवाएं बांटनी शुरू कर दी थीं. कोझिकोड से सबसे ज्यादा मामले सामने आने के बाद कोझिकोड चिकित्सा कॉलेज अस्पताल में एक विशेष अलग वार्ड खोला गया है. केरल स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, राज्य के करीब 20 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.

लेप्टस्पाइरोसिस क्या है-

इसे आम भाषा में रैट फीवर कहा जाता है जो मुख्यतः चूहों से फैलता है. हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल के मुताबिक, "अत्यधिक बारिश और उसके परिणामस्वरूप बाढ़ से चूहों की संख्या में वृद्धि के चलते जीवाणुओं का फैलाव आसान हो जाता है. संक्रमित चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लेप्टोस्पायर्स होते हैं, जो बाढ़ के पानी में मिल जाते हैं. जीवाणु त्वचा या (आंखों, नाक या मुंह की झल्ली) के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, खासकर यदि त्वचा में कट लगा हो तो."

उन्होंने कहा, " दूषित पानी पीने से भी संक्रमण हो सकता है. उपचार के बिना, लेप्टोस्पायरोसिस गुर्दे की क्षति, मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर सूजन), लीवर की विफलता, सांस लेने में परेशानी और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है."

यह है लक्षण-

लेप्टोस्पायरोसिस के कुछ लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, ठंड, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, पीलिया, लाल आंखें, पेट दर्द, दस्त आदि शामिल हैं. किसी व्यक्ति के दूषित स्रोत के संपर्क में आने और बीमार होने के बीच का समय दो दिन से चार सप्ताह तक का हो सकता है. लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज चिकित्सक द्वारा निर्धारित विशिष्ट एंटीबायोटिक्स के साथ किया जा सकता है.