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मोदी सरकार ने सोमवार को लोकसभा में ऐतिहासिक नागरिकता संशोधन बिल पारित करवा लिया है. बिल के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े. हालांकि इस बिल के खिलाफ देश के पूर्वोत्तर राज्य असम में खूब विरोध हो रहा है. राज्य में छात्र संगठन NESO और AASU ने 12 घंटे का बंद बुलाया है. इसके चलते कई इलाकों में सुबह से ही दुकानें नहीं खुलीं है.
गुवाहाटी: मोदी सरकार ने सोमवार को लोकसभा में ऐतिहासिक नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) पारित करवा लिया है. बिल के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े. हालांकि इस बिल के खिलाफ देश के पूर्वोत्तर राज्य असम में खूब विरोध हो रहा है. राज्य में छात्र संगठन NESO और AASU ने 12 घंटे का बंद बुलाया है. इसके चलते कई इलाकों में सुबह से ही दुकानें नहीं खुलीं है.
नागरिकता संशोधन बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.
निचले सदन में विधेयक पर सदन में सात घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों के यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है. ये लोग भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी. शाह ने कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव वाला नहीं है और तीन देशों के अंदर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है जो घुसपैठिये नहीं, शरणार्थी हैं.
उन्होंने कहा कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी. 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गई. बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गई. भारत में 1951 में 84 प्रतिशत हिंदू थे जो 2011 में कम होकर 79 फीसदी रह गये, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 प्रतिशत थे जो 2011 में 14.8 प्रतिशत हो गये. उन्होंने कहा कि इसलिये यह कहना गलत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है. उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव न हो रहा है और ना आगे होगा.
उल्लेखनीय है कि सोमवार को भी बीजेपी की सहयोगी इंडीजीनस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) सहित कई आदिवासी समूहों ने नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ बंद बुलाया था. जिसके चलते त्रिपुरा ट्राइबल एरिया ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (टीटीएएडीसी) के क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित रहा. सड़क और रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुए और हजारों यात्री बीच रास्ते में फंसे रहे, क्योंकि बंद समर्थक कार्यकर्ताओं ने त्रिपुरा और देश के बाकी हिस्सों के बीच चलने वाले वाहनों और ट्रेनों को आगे जाने से रोक दिया.