अपनी सफलता पर साकिब सलीम ने कहा-सोचा न था, मुझे देखने को पैसे खर्च करेंगे लोग

मैं इसे गंभीरता से नहीं लेता क्योंकि मैं दिल्ली के एक मध्यम वर्ग के परिवार से आता हूं. मेरे लिए सिनेमा पारस (दक्षिण दिल्ली) जाकर फिल्म देखना है. मेरे पिता मुझे वहां ले जाते थे. यह सिनेमा के प्रति मेरी समझ है. मैंने उस वक्त नहीं सोचा था कि मैं एक ऐसा शख्स बनूंगा, जिसे पर्दे पर देखने के लिए लोग पैसे देंगे...

Photo credit- Instagram

नई दिल्ली, दिल्ली के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में और बॉलीवुड में नाम कमा चुके अभिनेता साकिब सलीम का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक ऐसे शख्स बनेंगे जिसे पर्दे पर देखने के लिए लोग पैसे खर्च करेंगे. साकिब को अब फिल्म जगत में सक्रिय हुए सात साल पूरे हो गए हैं. एक मॉडल के रूप में करियर की शुरुआत करने वाले 30 वर्षीय साकिब ने 2011 में 'मुझसे फ्रेंडशिप करोगे' के साथ बॉलीवुड में कदम रखा था. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी. इसके बाद वह 'मेरे डैड की मारुति', 'बॉम्बे टॉकीज', 'हवा हवाई', 'ढिशूम', 'दोबारा : सी योर एविल', 'दिल जंगली' और सलमान खान अभिनीत 'रेस-3' में नजर आए थे.

प्रसिद्धि मिलने के बाद आप में क्या बदलाव हैं यह पूछे जाने साकिब ने यहां आईएएनएस को बताया, "मैं इसे गंभीरता से नहीं लेता क्योंकि मैं दिल्ली के एक मध्यम वर्ग के परिवार से आता हूं. मेरे लिए सिनेमा पारस (दक्षिण दिल्ली) जाकर फिल्म देखना है. मेरे पिता मुझे वहां ले जाते थे. यह सिनेमा के प्रति मेरी समझ है. मैंने उस वक्त नहीं सोचा था कि मैं एक ऐसा शख्स बनूंगा, जिसे पर्दे पर देखने के लिए लोग पैसे देंगे." बॉलीवुड अभिनेत्री हुमा कुरैशी के भाई साकिब का कहना है कि वह जानते हैं कि कुछ भी स्थाई नहीं है.

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि जिंदगी में कुछ भी स्थाई नहीं है. चाहे वे आपकी सफलताएं हो या असफलताएं. एक फिल्म सबकुछ बदल सकती है. इसलिए इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. आगे बढ़ने की प्रक्रिया का मजा लेते रहना चाहिए. अगर किसी के पास कोई नुस्खा होगा तो हर कोई सफल हो जाएगा."

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