गायिका श्रेया घोषाल ने अपने म्यूजिक लॉन्च के दौरान कहा- मैं जन्मजात संगीतकार नहीं हूं

श्रेया घोषाल का गायन हमेशा ही चर्चा में रहा है. लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि उसमें एक संगीतकार भी है. मार्च में हुए कोविड-19 लॉकडाउन से ठीक पहले उन्होंने एक गाना 'ना वो मैं' लॉन्च किया था. गाने की शैली को लेकर बात करें तो उनकी कोई एक पसंद नहीं है. श्रेया ने इस दौरान एक नया कौशल भी सीखा है.

श्रेया घोषाल (Photo Credits: Facebook)

श्रेया घोषाल (Shreya Ghoshal) का गायन हमेशा ही चर्चा में रहा है. लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि उसमें एक संगीतकार भी है. मार्च में हुए कोविड-19 (Covid-19) लॉकडाउन से ठीक पहले उन्होंने एक गाना 'ना वो मैं' लॉन्च किया था. श्रेया ने आईएएनएस को बताया, "मैं इसे बाद में जारी करने के बारे में सोच रही थी लेकिन मुझे अंदाजा नहीं था कि लॉकडाउन कब तक चलेगा, इसलिए मैंने इस गाने को अपने यूट्यूब चैनल पर जारी कर दिया. इसे मैंने और मेरे भाई ने संगीतबद्ध किया है."

उन्होंने कहा, "मैं कुछ और चीजों पर काम करने की कोशिश कर रही हूं. लेकिन अच्छे गीत को लाने में थोड़ा समय लगता है. मैं एक जन्मजात संगीतकार नहीं हूं, मैं संगीतकार से ज्यादा गायक हूं. मेरे पास बहुत सारे प्रोजेक्ट आ रहे हैं. कुछ अच्छी रचनाएं दोस्तों से भी आई हैं इसलिए मैं लोगों के साथ मिलकर काम कर रही हूं."

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श्रेया ने आगे कहा, "मैं हमेशा से कुछ ऐसा बनाना चाहती हूं, जिसे मैं गाऊं. मैं हमेशा फिल्म पर निर्भर नहीं रहना चाहता. फिल्मी गाने इसकी कहानी या फिल्म की सेटिंग तक सीमित रहते हैं." गाने की शैली को लेकर बात करें तो उनकी कोई एक पसंद नहीं है. श्रेया ने कहा, "मैं जिस तरह का संगीत मैं सुनती हूं वह काफी बहुमुखी है. मैं खुद को सीमित नहीं करती. लेकिन मुझे थोड़े चुनौतीपूर्ण गाने पसंद हैं."

एक उदाहरण साझा करते हुए उन्होंने कहा, " 'कलंक' का 'घर मोरे परदेसिया' गाना एक कठिन गीत था. यह एक नृत्य गीत है, लेकिन इसमें सभी 'हर्कत' और बारीकियां थीं. इसे सिनेमाई भी लगना था. यह गीत एक चुनौतीपूर्ण था. मुझे उम्मीद है कि इस तरह के गाने और बनेंगे फिर चाहे वह शास्त्रीय हो या न हो लेकिन यह चुनौतीपूर्ण होना चाहिए."

श्रेया ने इस मुश्किल समय में भी वर्चुअल कॉन्सर्ट्स कर रही हैं. उसने हाल ही में यूट्यूब के वन नेशन इनीशिएटिव में भाग लिया जिसमें 75 से अधिक संगीत कलाकार और भारतीय यूट्यूब रचनाकारों ने मिलकर लाइव कॉन्सर्ट किया था.

श्रेया कहती हैं,"ऐसा करने से, मैं खुद को भी खुश रख रही हूं. एक समय था जब मुझे दिन के 24 घंटे भी कम लगते थे लेकिन अब मुझे लगता है कि ये समय काफी है और करने को ज्यादा कुछ नहीं है. इसलिए आभासी संगीत कार्यक्रम करना लोगों को सकारात्मक बनाए रखता है."

श्रेया ने इस दौरान एक नया कौशल भी सीखा है. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मेरे खाना पकाने के कौशल में निश्चित रूप से सुधार हुआ है. मैं रसोई में प्रयोग कर रही हूं. कुछ व्यंजन बहुत अच्छे बने हैं. इसके लिए मैं खुद को शाबाशी देती हूं."

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