Cirkus Review: ऊबाऊ कहानी के बीच भी Sanjay Mishra हैं 'सर्कस' की जान, Johnny Lever छोटे पैकेट में बड़ा धमाका
'सर्कस' रोहित शेट्टी की दूसरी फिल्मों से काफी अलग है, नाम 'सर्कस' है फिर भी 'सर्कस' के करतब से फिल्म का दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है. यहां तक भी ठीक था, पर कहानी भी कमजोर साबित हुई है.
Cirkus Review: रोहित शेट्टी (Rohit Shetty) का वर्ल्ड एक बार फिर आपको सिनेमा हॉल की तरफ बुला रहा है. रणवीर सिंह (Ranveer Singh), पूजा हेगड़े (Pooja Hegde) और जैकलीन फर्नांडिस स्टारर पीरियड कॉमेडी ड्रामा फिल्म 'सर्कस' क्रिसमस के मौके पर 23 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. अपने देश में दर्शक फिल्मों को डायरेक्टर के नाम से नहीं, बल्कि एक्टर के नाम से जानते है. पर रोहित शेट्टी के मामले में ये अलग है. एक्टर कोई भी हो दर्शक रोहित शेट्टी के नाम पर भी फिल्में देखने जाते हैं. पर क्या 'सर्कस' में वह बात है, जिसे देखने के लिए आप समय और पैसा खर्च कर पाएं. तो मेरी तरफ से थोड़ी सी हां है. 'सर्कस' रोहित शेट्टी की दूसरी फिल्मों से काफी अलग है, नाम 'सर्कस' है फिर भी 'सर्कस' के करतब से फिल्म का दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है. यहां तक भी ठीक था, पर कहानी भी कमजोर साबित हुई है. हां फिल्म में कुछ देखने लायक है तो वे हैं संजय मिश्रा, जो आपको हंसाने के लिए काफी हैं. कहना चाहिए संजय मिश्रा वन मेन आर्मी हैं. Ranveer Singh ने Pooja Hegde और Jacqueline Fernandez के साथ Badshah के रेट्रो वर्जन 'आशिकी' में मिलाया ताल से ताल (Watch Video)
कहानी 60 के दशक की है. ऊटी में रॉय और जॉय दो भाई रहते हैं, जो सर्कस चलाते हैं. रॉय को करंट नहीं लगता है और उसे ही खूबी बनाकर सर्कस में नाम कमाता है. रॉय को माला (Pooja Hegde) से शादी किए 5 साल हो गए हैं, पर अभी तक कोई बच्चा नहीं है. माला बच्चा एडॉप्ट करना चाहती है और रॉय को खुद के खून पर ही यकीन है. वह खुद का बच्चा चाहता है. यहां तक कहानी आपको काफी साधारण लगी होगी. कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब देखने मिलता है कि बैंगलोर में भी रॉय और जॉय रहते हैं दोनों भाई हैं और दोनों की शक्ल भी ऊटी वाले रॉय और जॉय से मिलती है. साथ ही, जब ऊटी वाले रॉय नंगे तारों को हाथ लगाता है तो बैंगलोर वाले रॉय को करंट लगता है. यहां तक भी ठीक है नाम एक, शक्ल एक, पर शहर अलग. पर क्या होगा जब इनका शहर भी एक हो जाएगा. यही फिल्म का देखने लायक हिस्सा है.
रणवीर सिंह ने अपने दोनों रॉय के किरदारों को बखूबी पकड़ने की कोशिश की है पर और अच्छा करने की गुंजाइश थी. रॉय के भाई बने जॉय यानी वरुण शर्मा ने थोड़ा निराश किया है. फुकरे जैसी फिल्मों में उनकी गजब की कॉमिक टाइमिंग देखने मिली थी. इस बार उनकी लय थोड़ा खोई हुई लगी. ऊटी के रॉय की पत्नी बनीं पूजा हेगड़े की एक्टिंग में पहले से काफी इंप्रूवमेंट देखने मिला है. पर दूसरी तरफ बैंगलोर के रॉय की गर्लफ्रेंड बनीं बिंदू यानी जैकलीन फर्नांडिस का एक्टिंग से दूर-दूर तक कोई नाता दिखाई नहीं दिया. फिल्म की जान हैं संजय मिश्रा, उन्होंने बिंदू के अमीर पिता का किरदार निभाया है. उनकी पंचलाइन आपको हंसा-हंसा कर लोट पोट कर देगी. जॉनी लीवर को स्क्रीन स्पेस कम मिला है. पर वे छोटे पैकेट में बड़ा धमाका साबित होते दिखे हैं. इसके अलावा भी सभी कलाकार अपने-अपने किरदार में ठीक-ठाक बैठे हैं.
पहले की ही तरह रोहित शेट्टी की 'सर्कस' का भी बैकग्राउंड म्यूजिक पॉवरफुल है. गाना 'सुन जरा' और दीपिका पादुकोण के साथ वाला 'करंट लगा रे' वैसे तो पहले ही ऑनलाइन रिलीज हो चुके हैं. पर इन्हें बड़े पर्दे पर देखना आपके लिए अलग एक्सपीरियंस होगा.
रोहित शेट्टी बॉलीवुड की हिट मशीन माने जाते हैं. कोरोना काल में भी उनकी फिल्म 'सूर्यवंशी' हिट साबित हुई. दर्शकों को उनसे काफी उम्मीदें रहती हैं और उन उम्मीदों पर वे अक्सर खरे भी उतरते हैं. 'सर्कस' में रोहित ने थोड़ा अलग कुछ करने की कोशिश की है. उन्होंने 60 के दशक के ऐरा को गढ़ा और एक साधारण कहानी को कॉमेडी में तब्दील किया है और आखिर में समाज को एक मैसेज देने की कोशिश भी की है. पर कमजोर कहानी फिल्म की दुश्मन बन जाती है. फर्स्ट हाफ में फिल्म की कहानी बार-बार ऊंटी से बैंगलोर भागती है, जो एक समय के बाद उबाउ लगने लगता है. पर बड़ी ही चालाकी के साथ रोहित ने सेकंड हाफ में इमोशंस और कॉमेडी भरने का का प्रयास किया है, जो काफी नहीं है.
क्रिसमस की छुट्टियां हैं और कुछ प्लान नहीं है तो परिवार के साथ इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं, यह पूरी तरह से फैमिली फिल्म है. पर हां देखने नहीं जाना है तो भी पछतावा नहीं होने वाला है. क्योंकि यह जेम्स कैमरन का पैंडोरा नहीं है जिसे आपको थिएटर्स में ही देखना चाहिए. थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए. फिल्म ओटीटी पर भी उपलब्ध होगी तब देख लेना.
रेटिंग्स: 2/5