Murshid Review: के के मेनन और तनुज विरवानी का दमदार प्रदर्शन, 'मुर्शिद' में झलकता है नब्बे के दशक का अंडरवर्ल्ड
'मुर्शिद' ज़ी5 पर आज यानी 30 अगस्त से स्ट्रीम हो रही है. यह एक ऐसी वेब सीरीज़ है जो आपको 90 के दशक के बॉम्बे के अंडरवर्ल्ड की रहस्यमयी गलियों में ले जाती है. यह सीरीज़ दर्शकों को एक ऐसे समय में ले जाती है जब मुंबई का अंडरवर्ल्ड अपने चरम पर था और शहर के हर कोने में उसका खौफ फैला हुआ था.
Murshid Review: 'मुर्शिद' ज़ी5 पर आज यानी 30 अगस्त से स्ट्रीम हो रही है. यह एक ऐसी वेब सीरीज़ है जो आपको 90 के दशक के बॉम्बे के अंडरवर्ल्ड की रहस्यमयी गलियों में ले जाती है. यह सीरीज़ दर्शकों को एक ऐसे समय में ले जाती है जब मुंबई का अंडरवर्ल्ड अपने चरम पर था और शहर के हर कोने में उसका खौफ फैला हुआ था. अपराध, सस्पेंस, और ड्रामा से लबालब भरी इस सीरीज़ में पुरानी कहानियों की छाया के साथ साथ के के मेनन और तनुज विरवानी के दमदार अभिनय के चलते 'मुर्शिद' खुद को एक अलग पहचान देने में सफल होती है. Pad Gaye Pange Review: 'पड़ गए पंगे' दर्शकों को हंसाने में सफल, राजपाल यादव और राजेश शर्मा की कॉमिक टाइमिंग ने किया कमाल
कहानी और प्रदर्शन
'मुर्शिद' की कहानी 20 साल तक मुंबई पर राज करने वाले माफिया डॉन मुर्शिद पठान के जीवन पर आधारित है. मुर्शिद एक उसूलों वाला गैंगस्टर है, जो अपने वादों पर खरा उतरने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता है. के के मेनन ने मुर्शिद पठान की भूमिका में अपने अभिनय की ऊंचाइयों को छू लिया है. उनके संवाद और उनकी बॉडी लैंग्वेज इतनी प्रभावी है कि वह पूरी सीरीज को अपने कंधों पर उठाए चलते हैं. उनका डायलॉग "चेहरे की झुर्रियों पे मत जा, मिटा के रख दूंगा" उनकी अभिनय क्षमता का बखूबी परिचय देता है.
तनुज विरवानी, जिन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर कुमार प्रताप की भूमिका निभाई है, अपनी एक्टिंग से प्रभावित करते हैं. मुर्शिद के गोद लिए बेटे के रूप में उनकी भूमिका में एक खास तनाव और गहराई है, जो कहानी में रोमांच बनाए रखता है. जब मुर्शिद खुद यह खुलासा करता है कि कुमार के पिता की मौत उसके ही हाथों हुई थी, तो कहानी में एक बड़ा मोड़ आता है, जो दर्शकों को बांधे रखता है.
देखें मुर्शिद का ट्रेलर:
निर्देशन और निष्पादन
निर्देशक श्रवण तिवारी, जो पहले भी अंडरवर्ल्ड पर फिल्में बना चुके हैं, ने "मुर्शिद" के जरिए 90 के दशक के बॉम्बे की दुनिया को एक बार फिर से जीवंत कर दिया है. उनके निर्देशन में कहानी की प्रस्तुति और किरदारों की गहराई उभरकर सामने आती है. हालांकि, कहानी के कुछ हिस्से अन्य मुंबई अंडरवर्ल्ड ड्रामाओं से मिलते-जुलते लग सकते हैं, लेकिन श्रवण तिवारी की निर्देशन कुशलता इसे ताजगी भरा अनुभव बनाती है.राजेश श्रृंगारपुरे, जाकिर हुसैन, और अनंग देसाई जैसे सहायक कलाकार भी अपने किरदारों में अच्छी तरह से फिट बैठते हैं और सीरीज की गुणवत्ता में इज़ाफ़ा करते हैं.
अंतिम निष्कर्ष
'मुर्शिद' क्राइम थ्रिलर के शौकीनों और के के मेनन के फैंस के लिए एक मस्ट-वॉच सीरीज है. हालांकि यह सीरीज अपने जॉनर में कुछ नया पेश नहीं करती, लेकिन इसकी मजबूत परफॉर्मेंस और अच्छी निर्देशन इसे 3.5 स्टार की रेटिंग के लायक बनाते हैं. अगर आप थ्रिलर के शौकीन हैं, तो 'मुर्शिद' आपके लिए एक अच्छी पसंद हो सकती है.