Love-All Movie Review: साधारण कहानी के साथ दिल जीतती है Kay Kay Menon स्टारर स्पोर्ट-ड्रामा 'लव-ऑल', मोटिवेशन के साथ देती है तगड़ा मैसेज!
फिल्म लव-ऑल 1 सितंबर को रिलीज के लिए तैयार है. यह एक स्पोर्ट-ड्रामा फिल्म है, जिसमें जिंदगी की निराशा, प्रेरणा और परिवार के गहरे भावों को दिखाने की कोशिश की गई है.
Love-All Movie Review: के के मेनन अपने शानदार अभिनय कौशल के लिए मशहूर हैं, जब भी वे कोई फिल्म करते हैं दर्शकों की उम्मीदें उनसे बढ़ जाती हैं और वे उन उम्मीदों पर खरे भी उतरते हैं. एक बार फिर वे दर्शकों के दिलों में जगह बनाने के लिए आगे आ गए हैं. उनकी आगामी स्पोर्ट-ड्रामा फिल्म लव-ऑल 1 सितंबर को रिलीज के लिए तैयार है. यह एक साधारण परिवार की साधारण कहानी है, जिसमें जिंदगी की निराशा, प्रेरणा और परिवार के गहरे भावों को दिखाने की कोशिश की गई है. Dream Girl 2 Review: फनी वन लाइनर्स से भरी है Ayushmann Khurrana की 'ड्रीम गर्ल 2', प्यार को पाने की खातिर करम बना पूजा!
के के मेनन ने एक ऐसे पिता सिद्धार्थ शर्मा का किरदार निभाया है जो कि अपनी जवानी के दिनों में बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ी हुआ करते थे. लेकिन एक मोड़ ऐसा आता है कि उन्हें बैडमिंटन छोड़ना पड़ जाता है. उन्हें खेल से इतनी नफरत हो जाती है कि वह अपने बेटे आदित्य (अर्क जैन) को भी स्पोर्ट्स से दूर रखते हैं. लेकिन किस्मत कब क्या खेल खेले आपको क्या पता. उनका बेटा आदित्य बहुत ही अच्छा बैडमिंटन खिलाड़ी होता है, इसकी पहचान स्कूल में होती है. पर क्या सिद्धार्थ अपने बेटे को बैडमिंटन खेलने देंगे या सपना छीन लेंगे? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
एक्टिंग की बात करें तो के के मेनन इस पूरी फिल्म को अपने कंधों पर लेकर चले हैं. उन्होंने एक निराश इंसान, एक साधारण पिता और पति के किरदार में जान झोंक दी है. साथ ही उन्होंने ऐसा कुछ किया है जो आपको परप्राइज करेगा. उनके अलावा स्वस्तिका मुखर्जी, श्रीस्वरा, सुमित अरोड़ा, आर्क जैन, दीप रमभिया, अतुल श्रीवास्तव, रॉबिन दास, आलम और माजेल व्यास भी अपनी-अपनी भूमिकाओं में जचे हैं.
फिल्म के लेखक व निर्देशक सुधांशु शर्मा हैं, उन्होंने एक साधारण कहानी को इमोशन्स के साथ जोड़कर वास्तविक्ता दिखाने की कोशिश की है. बावजूद इसके फिल्म की लेखनी में और दम लगाने की जरूरत थी, कहीं-कहीं पर संवाद हल्के लगते हैं. यह एक स्पोर्ट ड्रामा फिल्म है, इसलिए बैकग्राउंड म्यूजिक काफी मायने रखता है, उसपर भी जोर देने की आवश्क्ता थी. पर बावजूद इसके फिल्म किसी तरह से भी आपको बोर नहीं करेगी. साथ ही फिल्म देखने के बाद सिनेमाघरों से आप एक तगड़ा मोटिवेशन लेकर निकलेंगे. यह फिल्म एक मैसेज भी देती है कि अच्छी खेल सुविधाएं और बुनियादी ढांचा उनका अधिकार है, न कि राजनीतिक दलों द्वारा किया गया एहसान, क्योंकि पैसा उनके द्वारा भरे गए टैक्स से ही आता है.