Dilip Kumar’s 100th Birth Anniversary 2022: फल विक्रेता से ‘ट्रेजिडी किंग’ तक का सफर! जानें दिलीप कुमार के जीवन के 5 अनछुए प्रसंग!

11 दिसंबर 1922 को पेशावर में जन्में दिलीप कुमार (मूल नाम युसूफ खान) भले ही ट्रेजिडी-किंग के नाम से मशहूर रहे हों, लेकिन सिनेमा के पर्दे पर उन्होंने जो भी किरदार निभाए, उसमें किरदार ही दिखा, दिलीप कुमार नहीं

दिलीप कुमार (Photo Credits ANI)

Dilip Kumar’s 100th Birth Anniversary 2022: 11 दिसंबर 1922 को पेशावर में जन्में दिलीप कुमार (मूल नाम युसूफ खान) भले ही ट्रेजिडी-किंग के नाम से मशहूर रहे हों, लेकिन सिनेमा के पर्दे पर उन्होंने जो भी किरदार निभाए, उसमें किरदार ही दिखा, दिलीप कुमार नहीं. इसकी वजह थी कि उन्होंने बहुत चुनिंदा फिल्में ही की. यही वजह थी कि उन्होंने अपने 54 साल के फिल्म करियर में मात्र 59 फिल्में की. दिलीप कुमार जितने मंजे हुए अभिनेता थे, उतने ही अच्छे मेजबान भी थे, उन्हें खाने और खिलाने का विशेष शौक था. दिलीप कुमार का निधन लंबी बीमारी के पश्चात पिछले साल 7 जुलाई 2021 में हुआ था. ट्रेजिडी किंग की 100 वीं वर्षगांठ के अवसर पर हम यहां उनके जीवन के पांच अनछुए प्रसंगों की बात करेंगे. यह भी पढ़े: Dilip Kumar Death Anniversary: 12 साल की उम्र में दिलीप कुमार को दिल दे बैठी थीं सायरा बानो, आखिरी वक्त तक रहे साथ

किस्सा ख्वानी बाजार (पेशावर) का

दिलीप कुमार किस्सा ख्वानी बाजार (पेशावर) से गहरा रिश्ता था, जहां उन्होंने अपनी दादी के साथ बचपन गुजारा था. किस्सा ख्वानी बाजार पाकिस्तान का ऐसा बाजार है, जहां लोग आते थे और अपने-अपने किस्से सुनाते थे. यहीं दिलीप कुमार के पिताजी की एक हवेली थी. कहते हैं कि यहां सर्दियों में छत पर आग जलाई जाती थी. दिलीप कुमार की दादी की उपस्थिति में लोग किस्से सुनते-सुनाते थे. दादी के नियमों के अनुसार जिसके किस्से अनर्गल होते थे, उसे बाहर कर दिया जाता था, इस चेतावनी के साथ कि अब वह यहां नहीं आयेगा. बाद में दादी का वही नियम दिलीप कुमार के संस्कारों में आ गया. दिलीप कुमार ने कभी किसी के साथ बदजुबानी नहीं की.

फलों के कारोबार से फिल्म स्टार तक का सफर

दिलीप कुमार के पिता लाला गुलाम सरवर और पृथ्वीराज कपूर के पिता लाला बसेसर पेशावर से ही परिचित थे. व्यवसाय के सिलसिले में गुलाम सरवर युसूफ के साथ बॉम्बे आये. तब तक उनका फिल्मों में कोई रुझान नहीं था. बल्कि गुलाम सरवर बसेसर पर कटाक्ष करते कि तुम्हारे बच्चों (पृथ्वीराज एवं राज कपूर) को नौटंकी आती है बस. युसूफ ने कुछ समय पुणे की एक कैंटीन में काम किया, बाद में देवलाली में फलों के कारोबार से जुड़े. एक बार काम के सिलसिले में युसूफ चर्चगेट पर किसी का इंतजार कर रहे थे. यहीं खालसा कॉलेज के प्रोफेसर मि मसानी (जिनके छात्र थे युसुफ) उन्हें मिले. मसानी ने कहा कि तुम काम तलाश रहे हो, चलो मैं देविका रानी के पास जा रहा हूं, शायद तुम्हें भी कोई काम मिल जाये. युसूफ देविका रानी से मिले. देविका रानी युसूफ के उर्दू लफ्जों से बहुत प्रभावित हुईं, उन्होंने 12 सौ रुपये महीने में उन्हें अपनी कंपनी में नियुक्त कर लिया. देविका रानी ने उन्हें युसुफ के बजाय दिलीप कुमार नाम रखने का सुझाव दिया. दिलीप कुमार की पहली फिल्म ज्वार भाटा फ्लॉप रही, लेकिन इसके बाद अंदाज, दीदार, देवदास, मुगल-ए-आजम, राम और श्याम, गोपी, संघर्ष तक आते-आते वे स्टार से ट्रेजडी किंग के रूप में दमक उठे.

दूसरी शादी का ताउम्र मलाल था

दिलीप कुमार ने 11 अक्टूबर 1966 को 22 साल छोटी सायरा बानो से निकाह किया था. सायरा दिलीप कुमार से बेपनाह मोहब्बत करती थीं, लेकिन 1980 के दशक में दिलीप कुमार के जीवन में अस्मा नामक लड़की आई. 30 मई 1980 को उन्होंने अस्मा से निकाह कर लिया. सायरा को जब सच्चाई पता चली तो उनका दिल टूट गया, यद्यपि अस्मा के साथ दिलीप कुमार की ज्यादा निभ नहीं सकी, और 22 जून 1983 में उनका तलाक हो गया. दिलीप पुनः सायरा बानो के पास लौट आये. बताया जाता है कि अस्मा से शादी करने का उन्हें ताउम्र मलाल था, क्योंकि उन्होंने संतान के लिए परिवार के दबाव में आकर अस्मा से निकाह किया था.

क्या हुआ था दिलीप कुमार के बेटे को

यह सच है कि दिलीप कुमार एवं सायरा बानो ताउम्र संतान सुख से वंचित रहे. लेकिन दिलीप कुमार पर उदय तारा नायर लिखित पुस्तक में उल्लेखित है कि साल 1972 में सायरा बानो गर्भवती हुई थीं. जब उन्हें 8 माह का गर्भ था, तभी उन्हें ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई थी, चूंकि उस समय भ्रूर्ण पूरी तरह से विकसित हो चुका था, इसलिए सर्जरी करना संभव नहीं था, लिहाजा गर्भ में ही बच्चे की दम घुटने से मृत्यु हो गई थी. इसके घटना के बाद दिलीप कुमार कभी पिता नहीं बन सके थे.

मधुबाला और कामिनी कौशल से भी दिल लगाया था ट्रेजडी किंग ने

फिल्म इंडस्ट्री में दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम-कहानी जगजाहिर है. मधुबाला भी उनसे उसी शिद्दत से प्यार करती थीं. लेकिन मधुबाला और दिलीप कुमार के प्रेम के बीच उनके पिता अताउल्ला खान और प्रोफेशन दीवार बना तब दोनों के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं. मधुबाला के अलावा दिलीप कुमार का नाम कामिनी कौशल से भी जुड़ा था. उन्होंने कामिनी कौशल के साथ नदिया के पार, शहीद, आरजू और शबनम ये चार फिल्में की थी. कहते हैं कि जब दिलीप कुमार ने कामिनी कौशल से अपने प्यार का इजहार किया तो कामिनी कौशल दंग रह गईं, क्योंकि वे विवाहिता थीं और यह बात उन्होंने किसी को बताई नहीं थी.

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