Article 370 Review: यामी गौतम और प्रियामणि की दमदार अदाकारी के साथ 'आर्टिकल 370' कश्मीर के जटिल मुद्दे पर डालती है प्रकाश!
कश्मीर के इतिहास पर आधारित फिल्म 'आर्टिकल 370' 2019 में आर्टिकल 370 के निरस्तीकरण की प्रमुख घटनाओं को सटीकता के साथ सामने लाती है. यह न केवल हमें जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने की आंतरिक राजनीतिक प्रक्रियाओं से अवगत कराती है, बल्कि घाटी में घटित वास्तविक घटनाओं पर भी गहराई से विचार करने पर मजबूर करती है.
Article 370 Review: कश्मीर के इतिहास पर आधारित फिल्म 'आर्टिकल 370' 2019 में आर्टिकल 370 के निरस्तीकरण की प्रमुख घटनाओं को सटीकता के साथ सामने लाती है. यह न केवल हमें जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने की आंतरिक राजनीतिक प्रक्रियाओं से अवगत कराती है, बल्कि घाटी में घटित वास्तविक घटनाओं पर भी गहराई से विचार करने पर मजबूर करती है. आदित्य सुहास जंभाले (Aditya Suhas Jambhale) द्वारा डायरेक्टेड फिल्म में यामी गौतम धर (Yami Gautam Dhar) और प्रियामणि (Priya Mani) ने अपनी दमदार अदाकारी से दिल जीत लिया है. यह फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. Crakk Movie Review: विद्युत जामवाल और नोरा फतेही स्टारर 'क्रैक-जीतेगा तो जियेगा' एक्शन प्रेमियों के लिए पैसा वसूल!
कहानी
फिल्म की शुरुआत होती है अजय देवगन के नरेशन से, वे बताते हैं कि किस तरह से 1947 में कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान में गया और फिर किस तरह से धारा 370 लागू हुई. राजनीतिक थ्रिलर इसके बाद 2016 में कूदती है. एक स्थानीय एजेंट और खुफिया क्षेत्र अधिकारी जूनी हक्सर (यामी गौतम धर) को पीएमओ सचिव राजेश्वरी (प्रियमणि) द्वारा गुप्त रूप से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का नेतृत्व करने के लिए भर्ती किया जाता है. कश्मीर में ऑपरेशन चलाने, संघर्ष अर्थव्यवस्था का पर्दाफाश करने, अलगाववादियों और भ्रष्ट अधिकारियों से लड़ने, और आतंकवाद की स्थिति को रोकने के लिए, अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से कुछ महीने पहले ही खेल शुरू हो जाता है.
फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा धीमी गति से चलता है जिसे कहानी को स्थापित करने के लिए गति बनाने में समय लगता है, और पुलवामा हमले को सोच-समझकर इंटरवल के रूप में इस्तेमाल किया गया है. सेकंड हाफ में एक अधिक केंद्रित दृष्टिकोण के साथ, फिल्म तेज़-तर्रार और अच्छी तरह से बुनी हुई हो जाती है, जो एक रोमांचक 30 मिनट तक चलने वाले एक संतोषजनक चरमोत्कर्ष की ओर ले जाती है.
तगड़ी लेखनी के साथ दमदार डायरेक्शन
फिल्म की लेखनी फिल्म की आत्मा होती है, जिसपर बाखूबी ध्यान दिया गया है. आदित्य धर, आदित्य सुहास जंभाले, अर्जुन धवन और मोनाल ठाकर ने मिलकर इस फिल्म की कहानी को गढ़ा है. जिसे आर्टिकल 370 के बारे कोई जानकारी भी नहीं है वह भी इस फिल्म को समझ सकता है. साथ ही फिल्म को अलग अलग चैप्टर में बनाना दर्शकों के लिए काफी आसान बनाता है. फिल्म को आदित्य सुहास जंभाले ने डायरेक्ट किया है, उनका डायरेक्शन उम्दा है.
बैकग्राउंड म्यूजिक
फिल्म को एक रिदम में बैठाने के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक काफी अहम रोल पैदा करता है. आर्टिकल 370 का म्यूजिक बेहद शानदार है और सीन्स के हिसाब से एकदम फिट बैठता है. फिल्म में बेवजह के गानों को कोई स्थान नहीं दिया गया है.
अभिनय
यामी गौतम और प्रियामणि 'आर्टिकल 370' की आधार स्तंभ हैं. जहां यामी एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिकारी के रूप में घाटी में अलगाववादियों और भ्रष्ट अधिकारियों से लड़ती हैं, वहीं प्रियामणि एक पीएमओ अधिकारी के रूप में राजनीतिक मामलों को संभालती हैं. हर फिल्म के साथ, यामी का कद बढ़ता जा रहा है. वह एक स्पष्ट प्रदर्शन देती हैं, जो फिल्म के मूड के साथ पूरी तरह से तालमेल रखता है. चाहे एक्शन सीक्वेंस हों या भावुक दृश्य, यामी दोनों में समान रूप से उत्कृष्ट हैं. वहीं प्रधानमंत्री के रूप में अरुण गोविल इम्प्रेस करते हैं, साथ ही गृहमंत्री अमित शाह के रूप में किरण करमारकर भी उन्ही की तरह दिखे हैं.
निष्कर्ष
'आर्टिकल 370' एक दमदार राजनीतिक थ्रिलर है जो आपको बांधे रखेगी. यामी गौतम और प्रियामणि ने शानदार अभिनय किया है. फिल्म की कहानी सटीक और अच्छी तरह से लिखी गई है. डायरेक्शन उम्दा है. बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म के मूड के साथ तालमेल रखता है. थोड़ा धीमा फर्स्ट हाफ और कुछ दोहराव वाले संवादों को छोड़ दें तो यह फिल्म निश्चित रूप से देखने लायक है.