Raju Shrivastava: लोगों को हंसा-हंसाकर लोटपोट करने वाले राजू श्रीवास्तव की याद में नम हुईं देश की आंखे, कॉमेडी के अलावा और कई कार्यों में एक्टिवर रहे गजोधर भैया
घरेलू, साफ-सुथरी कॉमेडी के बादशाह, गजोधर भैया के नाम से प्रसिद्ध कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव नहीं रहे. उन्होंने 21 सितंबर को दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली.
Raju Shrivastava: घरेलू, साफ-सुथरी कॉमेडी के बादशाह, गजोधर भैया के नाम से प्रसिद्ध कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव नहीं रहे. उन्होंने 21 सितंबर को दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली. 58 वर्षीय राजू श्रीवास्तव को 10 अगस्त को वर्कआउट करते समय दिल का दौरा पड़ा था.
राजू श्रीवास्तव के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर तमाम हर क्षेत्र की हस्तियों ने शोक जताया है. एम्स में जब राजू श्रीवास्तव वेंटिलेटर पर थे तब प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिजनों का हालचाल जाना था और उनके स्वस्थ होने की कामना की थी. फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी अपना संदेश भेजा था.
अलग था हंसाने का अंदाज
अगर राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी की बात करें, तो लोगों को हंसाने का अंदाज उनका आज के दौर से काफी अलग था. वे ज्यादातर आम आदमी और रोजमर्रा की छोटी-छोटी घटनाओं पर आधारित हास्य व्यंग सुनाने के लिए प्रसिद्ध थे.
पिता कानपुर के एक लोकप्रिय कवि
राजू श्रीवास्तव का जन्म 25 दिसंबर, 1963 को हुआ था. उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रहने वाले राजू के बचपन का नाम सत्य प्रकाश था, लेकिन दुनिया उन्हें राजू श्रीवास्तव के नाम से जानती है. राजू के पिता कानपुर के एक लोकप्रिय कवि थे और अपनी हास्य और व्यंग्यात्मक कविताओं से लोगों का खूब मनोरंजन करते थे. राजू को बचपन से ही कॉमेडी का शौक था.
आसान नहीं था मायानगरी का सफर
अपनी कॉमेडी से लोगों को हंसाने के लिए राजू ने काफी पापड़ भी बेले. अपने सपने को पूरा करने के लिए राजू मुंबई चले आए, लेकिन सपने को हकीकत का रंग देना उतना आसान नहीं था, जितना उन्होंने सोचा था. यहां उन्हें कई दिनों तक तंगहाली की जिंदगी बितानी पड़ी. यहां तक पेट भरने के लिए राजू ने ऑटो भी चलाया. उन्होंने शायद सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें ऑटो चलाते समय करियर मिलेगा. दरअसल, उनके ऑटो में बैठी एक सवारी की वजह से उन्हें अपना पहला ब्रेक मिला. उसके बाद उन्हें धीरे-धीरे लाइव कॉमेडी शो मिलने शुरू हुए, जिनके लिए उन्हें 50 रुपये की फीस मिलती थी.
जब दुनिया ने गजोधर भैया को जाना
राजू श्रीवास्तव ने अपने करियर की शुरुआत टीवी शो ‘टी टाइम मनोरंजन’ से की थी लेकिन उन्हें असली पहचान ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ शो से मिली. इस शो में उन्होंने उत्तर प्रदेश की संस्कृति के ऐसे रंग दिखाये कि लोग हंस-हंस कर लोटपोट हो गए. इसी शो में उन्होंने ‘गजोधर भैया’ नाम के किरदार को भी दुनिया से रू-ब-रू करवाया. हालांकि, इस शो में राजू रनर अप रहे थे, लेकिन दर्शकों ने उन्हें उसी समय ‘द किंग ऑफ कॉमेडी’ का खिताब दे दिया.
कई फिल्मों में भी किया काम
श्रीवास्तव ने प्रसिद्ध संगीतकार कल्याणजी आनंदजी, बप्पी लाहिड़ी और नितिन मुकेश जैसे कलाकारों के साथ भारत के साथ-साथ विदेश में भी काम किया है. राजू श्रीवास्तव ने मैंने प्यार किया, बाजीगर, आमदनी अठन्नी खर्चा रूपया, मैं प्रेम की दीवानी, बिग ब्रदर जैसी बिग बजट की फिल्मों में अभिनय किया. उन्होंने बिग बॉस 3 में हिस्सा लेकर लगभग दो महीने तक घर में सबको गुदगुदाया. जब तक राजू इस शो का हिस्सा रहे, तब तक इसकी टीआरपी काफी हाई रही. लोग उनकी हाजिर जवाबी और मिमिक्री का जमकर लुत्फ उठाते रहे. 2013 में राजू ने अपनी पत्नी शिखा श्रीवास्तव के साथ नच बलिए सीजन 6 में भाग लिया. लोगों ने इनकी जोड़ी को खूब सराहा. राजू श्रीवास्तव अपने एक लाइव कॉमेडी शो के दौरान अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और पाकिस्तान पर पंच सुनाकर लोगों को गुदगुदाया, लेकिन इस शो के बाद उन्हें पाकिस्तान से धमकी भरे फोन आए और चेतावनी दी कि आइंदा वे इन पर किसी तरह की कोई कॉमेडी ना करें.
‘स्वच्छ भारत अभियान’ का रहे हिस्सा
राजू की लोकप्रियता को भुनाने के लिए समाजवादी पार्टी (एसपी) ने 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कानपुर से मैदान में उतारा, लेकिन 11 मार्च 2014 को श्रीवास्तव ने यह कहते हुए टिकट वापस कर दिया कि उन्हें पार्टी की स्थानीय इकाइयों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है. वह 19 मार्च, 2014 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. पीएम मोदी ने उन्हें ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का हिस्सा बनने के लिए नामित भी किया था.
राजू श्रीवास्तव की निजी जिंदगी की बात करें, तो उन्होंने 1993 में शिखा श्रीवास्तव के साथ शादी की थी. दोनों के दो बच्चे हैं. बेटी का नाम अंतरा श्रीवास्तव और बेटे का नाम आयुष्मान श्रीवास्तव है.
सारी जिंदगी लोगों को गुदगुदाने वाले हंसी की दुनिया के बेताज बादशाह राजू श्रीवास्तव अपने चाहने वालों को छोड़कर इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. ग्रामीणों की सीधी-सादी जिंदगी को हास्य रंग देने का उनका अनोखा अंदाज शायद ही कभी कोई भूल पाए.