ऋचा चड्डा का बोल्ड बयान, कहा- एडल्ट फिल्म स्टार और पोर्न स्टार में फर्क करना सीखें
किसी सफल एडल्ट (वयस्क) फिल्म स्टार को उचित सम्मान नहीं देना और उसे 'पोर्न स्टार' का तमगा देना पाखंड व पितृसत्तात्मक मानसिकता को दर्शाता है. ऋचा ने यहां बायोपिक 'शकीला' के सेट पर आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में बताया, "एक एडल्ट (फिल्म) स्टार को पोर्न स्टार कहना पितृसत्तात्मकता दिखाता है.
बेंगलुरु: फिल्म 'शकीला' में दक्षिण भारतीय अभिनेत्री शकीला का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री ऋचा चड्ढा का कहना है कि किसी सफल एडल्ट (वयस्क) फिल्म स्टार को उचित सम्मान नहीं देना और उसे 'पोर्न स्टार' का तमगा देना पाखंड व पितृसत्तात्मक मानसिकता को दर्शाता है. ऋचा ने यहां बायोपिक 'शकीला' के सेट पर आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में बताया, "एक एडल्ट (फिल्म) स्टार को पोर्न स्टार कहना पितृसत्तात्मकता दिखाता है. आप एक अभिनेत्री का अपमान करते हैं जो एडल्ट थीम वाली फिल्मों का हिस्सा होती है और फिर आप उन फिल्मों को बहुत ज्यादा व चाव के साथ देखते हैं, जिससे इन फिल्मों की जबरदस्त कमाई होती है यह कैसा पाखंड है."
हमारे समाज की नौतिकता के दोगलेपन को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, "एडल्ट फिल्में इसलिए बनती हैं, क्योंकि उनका एक अपना बाजार है." इंद्रजीत लंकेश निर्देशित 'शकीला' का कुछ दिनों पहले लोगो जारी हुआ. फिल्म की टैगलाइन में लिखा है, 'नॉट अ पोर्न स्टार' (पोर्न स्टार नहीं). अभिनेत्री से पूछा गया कि क्या यह दर्शकों को शकीला की कहानी को लेकर एक अलग नजरिया पेश करने का तरीका है? इस पर ऋचा ने कहा, "देखिए, शकीला का करियर शिखर पर होने के दौरान उनके बारे में लोगों ने जो कहा उसे लेकर लड़ने का कोई मतलब नहीं बनता. लोगों ने उनकी फिल्में देखी और उन्हें पोर्न स्टार का तमगा दे दिया, जो वह नहीं थीं. फिल्म में हम एक अभिनेत्री की कहानी और उनके सफर के अनदिखे पक्ष को दिखा रहे हैं.
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फिर लोगों को फैसला करने दीजिए कि क्या वह वास्तव में इस तमगे (पोर्न स्टार कहलाने) की हकदार हैं, जिसे उन्हें झेलना पड़ा." हैशटैग मीटू मूवमेंट को लेकर मुखर रहीं ऋचा खुद को खुशकिस्मत मानती हैं कि करियर की शुरुआत से लेकर उन्हें कभी भी किसी प्रकार के यौन दुर्व्यवहार का सामना नहीं करना पड़ा. अभिनेत्री ने कहा कि यौन दुर्व्यवहार के चलते कुछ प्रतिभाओं को भी खोना पड़ा है, लेकिन अब महिलाएं आगे आकर खुलकर बोल रही हैं. भविष्य उज्जवल मालूम पड़ रहा है, जहां नई प्रतिभाएं कार्यस्थल पर असहज महसूस किए बगैर अपना काम कर सकेंगी.