देश की खबरें | जनजातीय क्षेत्रों में विकास के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य किए जाएं: राज्यपाल हरिभाऊ बागडे

जयपुर, 14 अगस्त राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने बु‍धवार को अधिकारियों को जनजाति क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य करने के निर्देश दिए।

उन्होंने जनजाति क्षेत्र विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे आदिवासी क्षेत्रों के विकास के अंतर्गत सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और अन्य विकास योजनाओं से जुड़े विभागों की स्वयं निगरानी करें।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि जनजाति क्षेत्र विकास विभाग का दायित्व केवल जनजातीय विकास विभाग की योजनाओं का क्रियान्वयन ही नहीं बल्कि जनजातीय क्षेत्र के समग्र विकास की जवाबदेही उनकी है।

राज्यपाल ने केंद्र और राज्य सरकार के विकास लक्ष्यों को समयबद्ध पूरा करने के साथ ही जनजातीय क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने पर जोर दिया।

बागडे बुधवार को राजभवन में जनजातीय क्षेत्र विकास विभाग की समीक्षा बैठक में संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल ने जन-धन योजना के अंतर्गत खोले गए खातों, ‘हर घर जल’ के तहत लाभान्वित परिवारों, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत कृषि विकास के लिए किए कार्यों, हर गांव में पक्की सड़क निर्माण की प्रगति, गांवों में आरोग्य सेवाओं की स्थिति, आयुष्मान भारत योजना आदि के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी लेते हुए निर्देश दिए कि इन सभी योजनाओं का व्यावहारिक रूप में प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए।

उन्होंने कहा कि केवल लक्ष्य पूर्ति के लिए ही कार्य नहीं हो बल्कि यह भी देखा जाए कि आदिवासी क्षेत्र के लोगों को वास्तविक रूप में विकास योजनाओं का लाभ मिले।

बागडे ने जनजाति क्षेत्र विकास विभाग को आदिवासी गांवों में सामुदायिक चिकित्सा सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के साथ ही वहां पर टीबी और कैंसर जांच शिविर आयोजित करवाने और टीबी और कैंसर मुक्त जनजातीय क्षेत्र के लिए कार्य करने का आह्वान किया।

राज्यपाल ने आदिवासी क्षेत्रों में उद्यमिता और कौशल विकास के लिए भी विशेष प्रयास किए जाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में प्राकृतिक वनस्पति उत्पादों का प्रभावी विपणन किया जाए और प्रयास किया जाए कि आदिवासी क्षेत्रों के लोगों द्वारा उत्पादित उत्पाद ही प्रदेश में अधिकाधिक उपयोग किए जाएं और इससे स्थानीय स्तर पर जीवन स्तर में वृद्धि हो।

उन्होंने कहा कि भविष्य में राजभवन में आदिवासी क्षेत्र निर्मित उत्पादों का ही उपयोग किया जाए।

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