देश की खबरें | चंद्रमा पर उतरने के आगे के अभियानों पर काम जारी : इसरो अध्यक्ष

बेंगलुरु, 20 जुलाई भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चमकते खगोलीय एक्स-रे स्रोतों के विभिन्न आयामों का अध्ययन करने के लिए देश के पहले समर्पित ‘पोलरिमीटर मिशन-एक्सपोसैट’ (एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट) को अंजाम देने के लिए लगभग तैयार है। यह बात अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख एस सोमनाथ बृहस्पतिवार को कही।

सोमनाथ ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए ‘आदित्य-एल-1’ मिशन की तैयारियां भी चल रही हैं। उन्होंने बताया कि सौर मंडल के बाहर स्थित ग्रहों का अध्ययन करने के लिए भी उपग्रह विकसित करने पर विचार किया जा रहा है।

इसरो के प्रमुख ने कहा, ‘‘हम चांद पर उतरने से जुड़े अन्य अभियानों पर भी चर्चा कर रहे हैं।’’

अंतरिक्ष विभाग के सचिव सोमनाथ ने अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी और जागरूकता प्रशिक्षण (स्टार्ट) कार्यक्रम 2023 के उद्घाटन समारोह को ऑनलाइन संबोधित करते हुए यह बात कही।

इसरो ने 14 जुलाई को चांद पर अपना ‘चन्द्रयान-3’ मिशन भेजा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि इस मिशन (चन्द्रयान-3) के माध्यम से विज्ञान के क्षेत्र में आपको कुछ अनोखा जरूर मिलेगा।’’

सोमनाथ ने कहा, ‘‘हम आदित्य-एल-1 मिशन के माध्यम से सूर्य का अध्ययन करने और इसे समझने का भी प्रयास करेंगे। एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह लगभग तैयार है और हम तारों को बेहतर तरीके से समझने के लिए इसे (पोलरिमीटर उपग्रह) प्रक्षेपित करने पर विचार कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि अन्य खगोलीय पिंडों जैसे शुक्र को समझने के लिए मिशन पर चर्चा की जा रही है। उन्होंने बताया कि सौर मंडल से बाहर के खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने के लिए उपग्रह विकसित करने पर भी विचार किया जा रहा है।

इसरो के अधिकारियों ने बताया कि एक्सपोसैट (एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह) दो वैज्ञानिक उपकरणों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करेगा।

उन्होंने बताया कि पहला उपकरण ‘पीओएलआईएक्स’ (पोलरिमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्स-रे) खगोलीय मूल के 8-30 किलो-इलेक्ट्रॉनवोल्ट वाले फोटॉन के मध्यम एक्स-रे ऊर्जा श्रेणी के पोलरिमीटर मानकों (ध्रुवीकरण की डिग्री और कोण) को मापेगा।

अधिकारियों ने कहा कि दूसरा उपकरण एक्सस्पेक्ट (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग) 0.8-15 किलोइलेक्ट्रॉनवोल्ट की ऊर्जा श्रेणी में स्पेक्ट्रोस्कोपिक सूचनाएं देगा।

स्पेक्ट्रोस्कोपिक से तात्पर्य किसी भी वस्तु के आकार या प्रकृति का पता लगाने के लिए विद्युतीय या चुंबकीय तरंगों के उपयोग के विभिन्न तकनीकों से है।

‘आदित्य-एल-1’ सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन होगा।

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