देश की खबरें | महिला दिवस: पुलिस थानों में ‘महिला हेल्प डेस्क’ स्थापित करने के लिए 200 करोड़ रुपये दिये गये है: गृह मंत्रालय
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नयी दिल्ली, आठ मार्च केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस थानों में ‘महिला हेल्प डेस्क’ स्थापित करने और देश के सभी जिलों में मानव तस्करी विरोधी इकाइयों को मजबूत करने के लिए 200 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि महिला सशक्तीकरण हमेशा केन्द्र सरकार की नीतियों का केंद्र बिंदु रहा है।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर साहस, शौर्य और समर्पण की प्रतीक नारी शक्ति को नमन करता हूं। महिला सशक्तीकरण सदैव मोदी सरकार की नीतियों का केंद्र बिंदु रहा है और ये गर्व की बात है कि आज हमारी मातृशक्ति आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।’’
इसके बाद गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए उसने कई पहल की हैं जो निर्भया कोष द्वारा वित्त पोषित हैं।
बयान में कहा गया है कि गृह मंत्रालय में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर एक अलग सुरक्षा प्रभाग भी स्थापित किया गया है ताकि यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच समय पर पूरी की जा सके।
इसमें कहा गया है, ‘‘सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क स्थापित करने और देश के सभी जिलों में मानव तस्करी विरोधी इकाइयों को मजबूत करने के लिए 200 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।’’
बयान में कहा गया है कि सरकार महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और कई ऐसी परियोजनाएं चल रही हैं जिसमें न केवल उनकी भलाई सुनिश्चित की गई है बल्कि इनके जरिये महिलाओं को स्वतंत्र रूप से जीने के लिए सशक्त किया जायेगा।
मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पिछले सात वर्षों में महिला सशक्तीकरण और उनकी सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं।
उसने कहा कि गृह मंत्रालय ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध की रोकथाम पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया है और 14 राज्यों ने साइबर फोरेंसिक प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की है।
इसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने पुलिस थानों और उप-मंडल स्तर के कार्यालयों में सामाजिक कार्यकर्ताओं और परामर्शदाताओं को भर्ती किया है ताकि वे बिना किसी संकोच या भय के अपराधों की रिपोर्ट कर सकें।
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