नयी दिल्ली, 23 सितंबर: कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि महिला आरक्षण विधेयक को लेकर देश की महिलाएं ठगा महसूस कर रही हैं क्योंकि यह विधेयक को आज नहीं, बल्कि कई वर्षों बाद लागू होगा. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा कि विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ तस्वीर खिंचवाने वाली भारतीय जनता पार्टी की महिला सांसद महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर चुप्पी साध लेती हैं, जो दुखद है. लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने संबंधी (एक सौ अट्ठाईसवां संविधान संशोधन) विधेयक, 2023 को राज्यसभा ने कल बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी. इसके साथ ही इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई। लोकसभा ने बुधवार को इसे पारित किया था.
कांग्रेस की सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘महिला आरक्षण देश की आधी आबादी की राजनीतिक भागीदारी और उनके सशक्तीकरण का सबसे जरूरी माध्यम है। आनन-फानन में लाया गया महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया लेकिन यह कानून लागू कब होगा, किसी को पता नहीं.’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अगर सरकार के कुछ मंत्रियों-सांसदों की बात मानी जाए तो ये साल 2039 तक लागू होगा. ऐसे में देश की आधी आबादी अपने को ठगा महसूस कर रही है.’’
सुप्रिया ने दावा किया, ‘‘कुछ राज्यों में अपनी हार, ‘इंडिया’ गठबंधन की ताकत और अडाणी मामले पर जांच न हो जाए, इसे देखकर मोदी सरकार ने 'इंडिया' बनाम 'भारत' का अनर्गल बहस शुरू की. जब इसके खिलाफ लोगों का आक्रोश दिखा तो बिना सोचे-समझे महिला आरक्षण विधेयक लाया गया.’’ कांग्रेस नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘कहीं महिला आरक्षण विधेयक भी हर खाते में 15 लाख रुपये वार्षिक आने, दो करोड़ रोजगार मिलने, किसानों की आमदनी दोगुनी होने, 100 स्मार्ट सिटी बनाने, रुपये डॉलर का एक मूल्य होने, 40 रुपये प्रति लीटर में पेट्रोल बिकने, चीन को दिखाई जाने वाली लाल आंख जैसे तमाम वादों की तरह महज जुमला साबित न हो जाए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब महिला आरक्षण बिल पास हुआ तो भाजपा की तमाम महिला सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर उनका अभिवादन किया और तस्वीर खिंचवाई। ये भारत की सबसे सशक्त महिलाएं हैं. लेकिन इतनी सशक्त महिलाओं की महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध पर लगातार चुप्पी देखकर दुख होता है और तरस आता है.सुप्रिया का कहना था कि अगर कोई महिला देश की बेटियों के साथ हो रही दरिंदगी और अपराध के खिलाफ अपनी चुप्पी नहीं तोड़ती है, तो उसे सदन में रहने का कोई हक नहीं है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आरक्षण लागू होने के बाद जब महिलाएं सदन में जाएंगी तो देश की आधी आबादी की आवाज बुलंद करेंगी और महिला विरोधी अपराधों पर चुप नहीं रहेंगी.
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