नयी दिल्ली, 12 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को "असली राजनीतिक दल" घोषित करने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के आदेश को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे गुट की याचिका को सूचीबद्ध करेगा।
शिंदे के अलग होने के बाद जून 2022 में शिवसेना में विभाजन हो गया था।
ठाकरे गुट की याचिका सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी लेकिन समय की कमी के कारण दिन में मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी।
ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से कहा, ‘‘उन्हें (शिंदे गुट को) जवाब दाखिल करने दीजिए। पूर्व में नोटिस जारी किया गया था।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ''हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।''
इस बीच, शिंदे समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि चूंकि इस मुद्दे पर एक याचिका बंबई उच्च न्यायालय में भी लंबित है, इसलिए दो अदालतों में एक साथ कार्यवाही नहीं चल सकती।
इससे पहले, पांच फरवरी को प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पीठ ने ठाकरे गुट की याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की थी।
ठाकरे गुट का आरोप है कि शिंदे ने "असंवैधानिक रूप से सत्ता पर कब्जा किया" और वह महाराष्ट्र में "असंवैधानिक सरकार" का नेतृत्व कर रहे हैं।
विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने 10 जनवरी को पारित अपने आदेश में शिंदे सहित सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की ठाकरे गुट की याचिका को भी खारिज कर दिया था।
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