Congress On PM Modi: पश्चिम बंगाल-बिहार हिंसा पर ‘चुप’ क्यों हैं पीएम नरेंद्र मोदी: कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल

नयी दिल्ली, 2 अप्रैल : पश्चिम बंगाल और बिहार में सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने रविवार को इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ‘‘चुप्पी’’ को लेकर सवाल उठाया और कहा कि हिंसा के लिए ‘‘2024 के आम चुनाव को कारण’’ नहीं बनने दें. सिब्बल ने देश के लोगों से ‘‘बंगाल और बिहार को जलाने, तथा नफरत के बीज बोने’’ पर रोक लगाने की अपील करते हुए कहा कि इससे केवल नेताओं और राजनीतिक विचारधाराओं को लाभ हो सकता है. उन्होंने एक बयान में कहा कि इस नफरत का शिकार हमेशा आम आदमी होता है. सिब्बल ने सवाल किया, ‘‘मैं चाहता हूं कि प्रधानमंत्री (मोदी), गृह मंत्री (अमित शाह) बोलें और हिंसा की निंदा करें. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस हिंसा के बीच दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला, वे चुप क्यों हैं?’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मेरी उन सभी से विनम्र अपील है और यह किसी एक पार्टी विशेष की बात नहीं हो सकती है, जो इस उन्माद के लिए जिम्मेदार है. जो माहौल बन रहा है, उससे हटकर देश को आगे बढ़ने की जरूरत है. 2024 को इसका कारण नहीं बनने दें.’’ सिब्बल ने कहा कि कानून का राज रहना चाहिए. सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर रविवार को चिंता व्यक्त की और स्थिति का जायजा लेने के लिए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से बात की. सिब्बल ने कहा कि सिर्फ चिंता जताना काफी नहीं है. सिब्बल का बयान रामनवमी उत्सव के दौरान बिहार के सासाराम और बिहारशरीफ शहरों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के बाद आया है. यह भी पढ़ें : अमृतपाल के सहयोगियों के हथियारों के लाइसेंस रद्द करने में देरी; इस पहलू पर हो सकती है सीबीआई जांच

सासाराम और बिहारशरीफ में सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने शनिवार तक 45 लोगों को गिरफ्तार किया था. दोनों शहरों में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई, जहां वाहनों, घरों और दुकानों को आग लगा दी गई तथा कई लोग घायल हो गए. पश्चिम बंगाल में हावड़ा के शिबपुर और काजीपाड़ा इलाके में भी रामनवमी की शोभायात्रा के दौरान झड़प हुई थी. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-1 और 2 सरकारों के दौरान केंद्रीय मंत्री रहे सिब्बल ने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे. अन्याय से लड़ने के उद्देश्य से उन्होंने हाल में गैर-चुनावी मंच ‘इंसाफ’ शुरू किया था.