जरुरी जानकारी | थोक मूल्य सूचकांक 4.5 वर्ष के निम्न स्तर पर पहुंचा, मई माह में अवस्फीति 3.21 प्रतिशत रही
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. ईंधन और बिजली क्षेत्र की मांग में भारी गिरावट के चलते मई माह में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर साढे चार साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी और इस दौरान अवस्फीति 3.21 प्रतिशत रही। हालांकि, इस दौरान खाद्य जिंसों के दाम बढ़े हैं।
नयी दिल्ली, 15 जून ईंधन और बिजली क्षेत्र की मांग में भारी गिरावट के चलते मई माह में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर साढे चार साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी और इस दौरान अवस्फीति 3.21 प्रतिशत रही। हालांकि, इस दौरान खाद्य जिंसों के दाम बढ़े हैं।
अवस्फीति, मुद्रास्फीति के ठीक उलट है। यह वह स्थिति है जब मुद्रा का मूल्य बढ़ता है यानी कीमतें घटती हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सोमवार को जारी वक्तव्य के मुताबिक डब्ल्यूपीआई ने नवंबर 2015 के बाद का सबसे निचला स्तर छुआ है। उस समय अवस्फीति 3.7 प्रतिशत थी।
मंत्रालय के वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘मासिक डब्लयूपीआई के आंकड़ों पर आधारित मुद्रास्फीति की सालाना दर मई 2020 में शून्य से नीचे 3.21 प्रतिशत (अस्थाई आंकड़ा) रही है। एक साल पहले इसी माह में यह 2.79 प्रतिशत (स्फीति) रही थी।’’
हालांकि, मई 2020 के दौरान खाद्य जिंसों में मुद्रास्फीति 1.13 प्रतिशत रही जबकि एक महीना पहले अप्रैल में इस समूह की मुद्रास्फीति 2.55 प्रतिशत रही थी।
आंकड़ों के अनुसार दलहनों में थोक मुद्रास्फीति मई में भी लगातार दहाई अंक में 11.91 प्रतिशत पर बनी रही जबकि एक महीना पहले अप्रैल में यह 12.31 प्रतिशत पर थी। आलू की मुद्रास्फीति 52.25 प्रतिशत रही जबकि इसके विपरीत सब्जियों के दाम में 12.48 प्रतिशत की अवस्फीति रही।
अंडे, मांस और मछली जैसे प्रोटीन युक्त वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 1.94 प्रतिशत रही।
सरकार द्वारा खुदरा स्तर पर जुटाये पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक मई माह में खाद्य मुद्रास्फीति 9.28 प्रतिशत बढ़ी है। इनमें दलहन, मांस और मछली, तेल और वसा के दाम अधिक तेजी से बढ़े।
जहां तक ईंधन और बिजली समूह की बात है इस समूह में मई माह में इसमें अवस्फीति 19.83 प्रतिशत रही जबकि एक महीना पहले भी यह 10.12 प्रतिशत (अवस्फीति) रही थी।
विनिर्मित उत्पादों के समूह में भी मई के दौरान 0.42 प्रतिशत की अवस्फीति रही।
सरकार ने 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया था। इस दौरान बाजार से पूरे आंकड़े नहीं जुटाये जा सके इसीलिये मंत्रालय ने अप्रैल 2020 के लिये थोक मूल्य सूचकांक के पूरे आंकड़े जारी नहीं किये थे। इस दौरान खाद्य, प्राथमिक वस्तुओं और ईंधन एवं बिजली समूह के ही आंकड़े जारी किये गये।
बहरहाल, मंत्रालय ने अपने देशभर में फैले कार्यालयों से कहा है कि वह इलेक्ट्रानिक उपकरणों के जरिये मूल्य आंकडे जुटायें और अप्रैल के अंतिम लिये आंकड़े अब अगले महीने जारी किये जायेंगे।
इस बीच, मार्च में थोक मुद्रास्फीति 0.42 प्रतिशत रही जबकि 14 अप्रैल को अस्थायी आंकड़े में इसके एक प्रतिशत रहने की बात कही गयी थी।
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कच्चा तेल जैसे कुछ जिंसों के दाम में तेजी से आने वाले समय थोक मुद्रास्फीति में गिरावट थमेगी, वहीं
खाद्य वस्तुओं के दाम पर दबाव कम होने का संकेत है। इससे खुदरा खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर नरम होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘...हमारा मानना है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मुद्रास्फीति को काबू में रखने के बजाए फिलहाल आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने पर ध्यान देगी। वैसे भी महंगाई दर निकट भविष्य में नरम रहेगी।’’
नायर ने कहा, ‘‘इसीलिए हमारा अनुमान है कि एमपीसी अगली बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की और कटौती करेगी।’’
रिजर्व बैंक ने पिछले महीने रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की कटौती की थी। इस कटौती के बाद नीतिगत दर 4 प्रतिशत के अबतक के न्यूनतम स्तर पर आ गयी है।
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