डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 की दो एंटीबॉडी चिकित्सा पद्धतियों का इस्तेमाल नहीं करने की वकालत की: बीएमजे
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक संशोधित दिशानिर्देश के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कोविड-19 की दो एंटीबॉडी चिकित्सा पद्धतियों के इस्तेमाल की अब और सिफारिश नहीं करता क्योंकि ओमीक्रोन और इसके उप-स्वरूपों ने उन्हें बेकार कर दिया है.
नयी दिल्ली, 16 सितंबर : ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक संशोधित दिशानिर्देश के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कोविड-19 की दो एंटीबॉडी चिकित्सा पद्धतियों के इस्तेमाल की अब और सिफारिश नहीं करता क्योंकि ओमीक्रोन और इसके उप-स्वरूपों ने उन्हें बेकार कर दिया है. इसी ताजा दिशानिर्देश में डब्ल्यूएचओ ने गंभीर कोविड-19 से ग्रस्त रोगियों में एंटीवायरल दवा रेमडेसिविर के इस्तेमाल की सशर्त सिफारिश की है और अन्य कोई गंभीर बीमारी वाले रोगियों में इसका उपयोग नहीं करने की सशर्त सिफारिश भी की है.
डब्ल्यूएचओ के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के दिशानिर्देश विकास समूह ने कहा कि कोविड-19 रोगियों के लिए एंटीबॉडी दवा सोट्रोविमैब और कैसिरिविमैब-इमडेविमैब की सिफारिश नहीं की जाती. ये दवाएं सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक (कांटेनुमा) प्रोटीन से चिपककर इसकी संक्रमण की क्षमता को कमजोर करती हैं. ये प्रोटीन ही वायरस को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश कराने में सहायता करते हैं. यह भी पढ़ें : लंपी वायरस ने ली MP में 38 पशुओं की जान, पड़ोसी राज्यों से पशुओं के प्रवेश पर रोक
इस पुरजोर सिफारिश ने पिछली सशर्त सिफारिशों की जगह ली है और यह प्रयोगशाला अध्ययनों से सामने आये इन साक्ष्यों पर आधारित है कि इन दवाओं के वर्तमान में ओमीक्रोन जैसे फैल रहे वायरस के स्वरूपों के खिलाफ काम करने की संभावना नहीं है. समूह ने सभी साक्ष्यों का अध्ययन करने के बाद कहा कि भलीभांति जानकारी रखने वाले लगभग सभी रोगी सोट्रोविमैब या कैसिरिविमैब-इमडेविमैब लेना नहीं चाहेंगे. ये सिफारिशें 7,643 रोगियों पर बिना किसी क्रम के हुए पांच परीक्षणों के परिणामों पर आधारित हैं.