लखनऊ, 27 मई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में शुक्रवार को समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव की सराहना की तो नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने चुटकी लेते हुए कहा कि नेता सदन (मुख्यमंत्री) को हमारे चाचा की बहुत चिंता है।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) के शिवपाल यादव ने एक दिन पहले मुख्यमंत्री को ‘ईमानदार और मेहनती’ बताते हुए उनकी सराहना की थी । आज योगी द्वारा उनकी प्रशंसा को उनके अपने भतीजे अखिलेश यादव से बढ़ती दूरियों के संदर्भ में देखा जा रहा है।
विधानसभा में शुक्रवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जब नेता सदन (मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ ने अपना भाषण समाप्त किया तो अखिलेश यादव ने अभिभाषण पर अपने संशोधन प्रस्ताव पर कहा कि नेता सदन ने लंबा भाषण दिया लेकिन जो संशोधन मैंने अपने भाषण में कहा, उसे अभी तक छुआ नहीं गया।'' यादव ने कहा कि ''इस दौरान नेता सदन ने हमारे चाचा की बहुत चिंता की। अभी तक तो मेरे चाचा थे लेकिन अब तो नेता सदन भी उन्हें चाचा बोल रहे हैं।''
गौरतलब है कि नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव हाल के विधानसभा चुनाव में जसवंत नगर सीट से सपा के चिन्ह पर चुनाव जीते हैं। हालांकि चुनाव बाद अखिलेश और शिवपाल के बीच अनबन की खबरों को खूब हवा मिली है। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान गत दिवस शिवपाल सिंह यादव ने योगी आदित्यनाथ की सराहना की थी।
योगी ने अपने भाषण के दौरान अखिलेश यादव को लक्ष्य करते हुए कहा कि ''आप कितना भी बोल लें समाजवादी, लेकिन समाजवाद को आपने एक मृगतृष्णा बना दिया है और मुझे लगता है जब समाजवाद की बात होती थी तो डॉक्टर लोहिया की चर्चा होती थी, जयप्रकाश नारायण की चर्चा होती थी। संघर्षशील नेताओं की चर्चा होती है।'' नेता सदन ने शिवपाल सिंह यादव की सराहना करते हुए कहा कि ''आजकल कभी—कभी डॉक्टर लोहिया पर शिवपाल जी की लेखनी देखता हूं। उनका लेख देखने को मिलता है। आपको सही मायने में लोहिया जी को पढ़ना चाहिए।''
आदित्यनाथ ने समाजवादी नेता का शिवपालजी कहते हुए नाम लिया।जब मुख्यमंत्री और अखिलेश यादव, शिवपाल यादव के बारे में बात कर रहे थे तो वह सदन में मौजूद थे।
योगी ने विधानसभा में शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव का बिना नाम लिए अपने सहयोगी दलों की चर्चा की और इशारों में कहा कि ''अंतर यही है हम साथ—साथ भी हैं और पास—पास भी हैं, लेकिन आप पास—पास भी हैं, लेकिन साथ—साथ नहीं है। आप पास—पास होते हुए भी साथ—साथ नहीं हैं।''
उल्लेखनीय है कि अपने भतीजे से मनमुटाव के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (पीएसपीएल) बनाने वाले शिवपाल ने हाल ही में सपा के चुनाव चिन्ह साइकिल पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। यादव ने 21 अप्रैल को समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव की उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘भाजपा से मिलने वाला सपा में नहीं रहेगा।’
शिवपाल ने इस टिप्पणी को “गैर-जिम्मेदाराना” करार देते हुए कहा था, “अगर अखिलेश ऐसा सोचते हैं तो उन्हें मुझे विधायक दल से जल्द बाहर निकाल देना चाहिए।''
शिवपाल ने विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कुछ दिनों बाद ही भाजपा के साथ बढ़ती दोस्ती के संकेत दिए थे, जब योगी से मिलने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को ट्विटर पर फॉलो करना शुरू कर दिया था।
शिवपाल और अखिलेश के बीच दरार तब बढ़ गई, जब उन्होंने अपने चाचा को 26 मार्च को हुई सपा के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में आमंत्रित नहीं किया था।
उन्होंने 31 मार्च को शपथ ली थी और बाद में वह लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे, जिससे उनके पाला बदलने की अटकलों को हवा मिली थी।
विधानसभा में शुक्रवार को योगी ने अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच बढ़ती दूरी को लेकर ही तंज किये।
अखिलेश यादव ने भी कोरोना को लेकर मुख्यमंत्री को घेरा। उन्होंने कहा कि ''मैंने टीका नहीं लगवाया लेकिन उन्होंने (योगी) वैक्सीन लगवाया, फिर भी उन्हें कोरोना हो गया।''
यादव ने कोरोना वैक्सीन के प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगे होने की चर्चा करते हुए कहा, ''सवाल ये है कि मैंने ये टीका बीजेपी का क्यों कहा? दुनिया वैश्विक महामारी की चपेट में आ गई। यूरोप, अमेरिका, चीन किसी देश में वैक्सीन में तस्वीर नहीं लगाई लेकिन हमारे देश में तस्वीर लगी। अगर सर्टिफिकेट में तस्वीर नहीं लगी होती तो मैं खड़ा होकर वैक्सीन लगवाता।''
यादव ने चीनी मिलों पर गन्ना मूल्य के बकाये भुगतान और नौकरियों की परीक्षा में पेपर लीक का भी सिलसिलेवार जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना काल में सरकार ने किसी भी मजदूर की मदद नहीं की।
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