देश की खबरें | पश्चिमी मध्यप्रदेश में हिंसा, भाजपा सरकार पर लगाये गये पक्षपात एवं मूकदर्शक बनने के आरोप

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एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

भोपाल, दो जनवरी पश्चिमी मध्यप्रदेश में हिन्दू संगठनों द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के लिए धन जुटाने के लिए निकाली गई रैलियों के दौरान हिंसा ने मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को झकझोरकर रख दिया है।

मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने आरोप लगाया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में इंदौर, उज्जैन और अन्य क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने और घरों में आग लगाने की घटनाओं के बावजूद पुलिस मूकदर्शक बनी रही।

दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद ने दावा किया कि जो लोग राम मंदिर के लिए जुलूस निकाल रहे थे, उन्हें 'पूर्व नियोजित' हमलों का सामना करना पड़ा।

इंदौर जिले के चांदनखेड़ी गांव निवासी सद्दाम पटेल ने बताया, ‘‘चोटें आने के बाद मैं दर्द और डर में तड़प रहा हूं।’’ उन्होंने शनिवार को अस्पताल के बिस्तर से कंपन भरी आवाज में बोलते हुए कहा, ‘‘मैं अभी बात करने की स्थिति में नहीं हूं।’’

उसके परिचितों ने कहा कि 29 दिसंबर को सद्दाम और उसके चार भाई घायल हो गए थे और एक अलग इलाके में स्थित उनके घर में आग लगा दी गई थी।

गांव के सरपंच दिलावर पटेल ने बताया कि हिंसा की शुरुआत रैली के भाग लेने वालों द्वारा लगाए गए भड़काऊ नारों से हुई। उन्होंने दावा किया कि सद्दाम के परिवार के सदस्यों को गोली लगने के साथ-साथ तलवारों से हमला कर घायल किया गया।

दिलावर ने आरोप लगाया, ‘‘बदमाशों ने सद्दाम के परिवार की भैंसों और बकरियों की आंखें भी बाहर निकाल दीं।’’

विहिप के मालवा प्रांत (इंदौर-उज्जैन संभाग) के सचिव सोहन विश्वकर्मा ने कहा, ‘‘राम मंदिर के लिए निधि जुटाने वाली रैलियों के दौरान उन्हें पत्थरबाजी का सामना करना पड़ा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोगों पर पत्थर फेंके जा रहे हैं। उनके पास पत्थरों के ऐसे भंडार कहां से आ रहे हैं? यह साजिश के तहत की गई हैं और पूर्व नियोजित लग रहा है।’’

उन्होंने 29 दिसंबर को इंदौर और मंदसौर जिलों में मुस्लिम धार्मिक स्थलों को अशुद्ध किए जाने की खबरों का भी खंडन किया। विश्वकर्मा ने आगे कहा, ‘‘पुलिस अपना काम कर रही है और जांच कर रही है।’’

कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने इस स्थिति के लिए राज्य की भाजपा सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि कुछ मंत्रियों ने भड़काऊ बयान दिए। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता कि पुलिस है ही नहीं। पुलिस अधिकारी असहाय हैं। वे फैसले लेने में असमर्थ हैं।’’

मसूद ने आरोप लगाया, ‘‘जिस दिन इंदौर में हिंसा भड़की, उस दिन मैंने रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक को चार बार फोन किया और उनसे कार्रवाई के लिए कहा। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।’’

इन घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर शुक्रवार को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में कहा था, ‘‘उपद्रवी कोई भी व्यक्ति हो, कानून अपना काम करेगा। प्रदेश सरकार ऐसी गड़बड़ करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।’’

चौहान का यह बयान 29 दिसंबर को चांदनखेड़ी गांव में एक मुस्लिम धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे कुछ व्यक्तियों को कथित रूप से दिखाने वाला वीडियो वायरल होने के बाद आया।

आरोप है कि इंदौर जिला प्रशासन ने गांव में रैली में पत्थर फेंकने के आरोपियों के मकान ध्वस्त कर दिये हैं। लेकिन इंदौर जिला प्रशासन ने दावा किया कि यह रहवासियों की सहमति लेने के बाद सड़क चौड़ीकरण के लिए किया जा रहा है।

इसी दिन 29 दिसंबर को मंदसौर में एक और रैली के दौरान एक मस्जिद के ऊपर कथित रूप से भगवा झंडा लगाए जाने के बाद हिंसा हुई थी।

मंदसौर के पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ चौधरी ने कहा, ‘‘हमने 30 सेकंड में झंडा हटा दिया। हिंसा के सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दोनों पक्षों की शिकायतों के बाद छह प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।’’ उन्होंने कहा कि पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई कर रही है।

मंदसौर शहर से 15 किमी दूर डोराना गांव के रहने वाले व्यापारी अब्दुल हाकिम ने कहा, ‘‘हम गुस्से में हैं। आरोपी आजाद घूम रहे हैं। हम चाहते हैं कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करे।’’

हाकिम ने कहा, ‘‘मेरी 20 से 25 लाख रुपये की संपत्ति बर्बाद हो गईं। ऐसा गुस्सा विद्रोहियों को पैदा करता है। हिंसा के बावजूद मुसलमान शांतिपूर्ण रहे और एक मिसाल कायम की। हमें मुआवजा दिया जाना चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।’’

25 दिसंबर को उज्जैन के बेगमगंज में रैली के दौरान पथराव होने के बाद जिला प्रशासन द्वारा तोड़फोड़ अभियान भी चलाया गया था। अधिकारियों ने तब दावा किया कि ये मकान अवैध कब्जा कर बनाये गये थे।

धार के रहने वाले अब्दुल समद ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि फंड जुटाने में शामिल एक हिन्दू संगठन के सदस्यों ने हाथ में हथियार हिला-हिला कर दिखाए और मुस्लिम विरोधी नारे लगाए। हालांकि, जब समद से इस बारे में टिप्पणी करने के लिए फोन किया गया, तो उससे संपर्क नहीं किया जा सका।

चांदनखेड़ी के सरपंच पटेल ने कहा, ‘‘नया साल शुरू हो गया है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि शांति बहाल हो। मेरे गांव में शांति होनी चाहिए। मैं प्रार्थना करता हूं कि हिंसा की पुनरावृत्ति न हो।’’

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