देश की खबरें | उत्तराखंड ‘साइनबोर्ड’ विवाद: ‘‘मुस्लिमों से भेदभाव’’ पर नागरिक समाज समूह ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले के कई इलाकों में गांवों के प्रवेश द्वारों पर आपत्तिजनक ‘साइनबोर्ड’ दिखाई देने के मद्देनजर कई सेवानिवृत्त सिविल सेवकों और शिक्षाविदों वाले एक नागरिक समाज समूह ने मुसलमानों से कथित भेदभाव के खिलाफ सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा।

नयी दिल्ली, नौ सितंबर उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले के कई इलाकों में गांवों के प्रवेश द्वारों पर आपत्तिजनक ‘साइनबोर्ड’ दिखाई देने के मद्देनजर कई सेवानिवृत्त सिविल सेवकों और शिक्षाविदों वाले एक नागरिक समाज समूह ने मुसलमानों से कथित भेदभाव के खिलाफ सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा।

रुद्रप्रयाग जिले के कई इलाकों में ग्रामीणों ने अपने गांवों के प्रवेश द्वारों पर बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने का उल्लेख करने वाले ‘साइनबोर्ड’ लगा दिए हैं।

सिरसी, रामपुर-न्याल्सू और अन्य गांवों में ‘साइनबोर्ड’ लगाए गए हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, शुरू में इन साइनबोर्ड में ‘‘गैर-हिंदुओं’’ पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी, लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप के बाद इसमें बदलाव करके ‘‘बाहरी लोगों पर प्रतिबंध’’ लगाने की बात का उल्लेख किया गया।

हालांकि, पुलिस ने बाद में कहा कि आपत्तिजनक ‘साइनबोर्ड’ हटा दिए गए हैं।

पुलिस उपाधीक्षक प्रबोध कुमार घिल्डियाल ने कहा, ‘‘गुप्तकाशी पुलिस थाना क्षेत्र में छह स्थानों पर लगाए गए साइनबोर्ड आपत्तिजनक थे और उन्हें हटा लिया गया है।’’ उन्होंने कहा कि लोगों से सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए कहा गया है।

धामी को लिखे एक पत्र में ‘सिटीजन्स फॉर फ्रेटरनिटी’ ने कहा कि देश का नागरिक होने के नाते उन्होंने उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों में ‘‘मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव’’ से जुड़ी खबरों से निराशा हुई है। पत्र में कहा गया है कि कई मुस्लिम दशकों से वहां के निवासी हैं और व्यवसाय कर रहे हैं।

पत्र पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जमीर उद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और पूर्व आईआरएस सैयद महमूद अख्तर सहित अन्य लोगों के हस्ताक्षर हैं।

पत्र में कहा गया है कि संविधान धर्म, जाति या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव नहीं करता है।

नागरिक समाज समूह ने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि यदि कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’’

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