नैनीताल, 27 अक्टूबर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि बिगाडने के मामले में दर्ज की गयी प्राथमिकी को रदद कर दिया और मामले में सीबीआइ जांच के आदेश दिए ।
शर्मा के खिलाफ देहरादून के एक थाने में दर्ज की गयी प्राथमिकी को रदद करने का आदेश देते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने यह भी कहा कि इस मामले के सभी दस्तावेज अदालत को जमा कराए जाएं ।
यह आदेश शर्मा की उस याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने अदालत से देहरादून में दर्ज की गयी प्राथमिकी को रदद करने की प्रार्थना की थी । प्राथमिकी में कहा गया था कि पत्रकार ने सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री रावत का नाम पैसों के लेन—देन में घसीटते हुए उनकी छवि खराब की ।
शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी जिसमें दावा किया गया कि झारखंड के अमृतेश चौहान ने नोटबंदी के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से व्यक्तिगत लाभ लेने के लिए रिटायर्ड प्रोफेसर हरेंद्र रावत और उनकी पत्नी डा सविता रावत के खाते में पैसे जमा कराए । इस पोस्ट में यह भी दावा किया गया था कि डा सविता रावत मुख्यमंत्री रावत की पत्नी की सगी बहन हैं । इस पोस्ट में अपने दावे के समर्थन में उक्त बैंक खाते में हुए लेन—देन का विवरण भी डाला गया था ।
इस पर रिटायर्ड प्रोफेसर रावत ने इन आरोपों को झूठा और आधारहीन बताते हुए शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई ।
याचिकाकर्ता शर्मा की तरफ से अदालत में पेश सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दावा किया कि झारखंड में भी उमेश शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और उस मामले में वह पहले ही जमानत पर हैं और इसलिए एक ही मामले में दो बार गिरफतारी नहीं हो सकती ।
सभी पक्षों को सुनने के बाद, उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी रदद करते हुए सीबीआइ जांच के आदेश दिए ।
सं दीप्ति
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