खेल की खबरें | ऊषा ने याद किया, किस तरह दोबारा दौड़कर जीती थी 100 मीटर की दौड़

मुंबई, एक दिसंबर अपने जमाने की दिग्गज फर्राटा धाविका पीटी ऊषा का 100 मीटर दौड़ में पदार्पण घटनाप्रधान रहा क्योंकि उन्हें गलती से ‘गलत शुरुआत’ के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था और दर्शकों के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने दोबारा दौड़कर स्वर्ण पदक जीता था।

उड़न पारी ऊषा ने पीटीआई से कहा कि तिरूवनन्तपुरम में 1977 के राष्ट्रीय खेलों में वह दर्शकों के समर्थन के कारण ही 100 मीटर की दौड़ जीत पायी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने 1977 में त्रिवेंद्रम में अपने पहले राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लिया तो मैं अंडर-14 वर्ग में थी। मैं 100 मीटर में गयी थी क्योंकि मुझे फर्राटा दौड़ पसंद है। शुरू में किसी अन्य लड़की ने गलत शुरुआत की लेकिन अधिकारी ने मेरे नाम के आगे ‘फाउल’ लिख दिया। ’’

ऊषा ने कहा, ‘‘इसके बाद मेरे दायीं तरफ दौड़ रही लड़की ने गलत शुरुआत की लेकिन इसमें भी मेरे नाम के आगे फाउल लिख दिया गया। तीसरी दौड़ में उन्होंने मुझे बाहर कर दिया। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘वहां काफी दर्शक थे और वे मैदान पर आ गये। उनका कहना था कि मैंने नहीं बल्कि अन्य लड़कियों ने गलती की है। इसके बाद फिर से दौड़ हुई जिसे मैंने जीता। मेरी 100 मीटर में शुरुआत ऐसी रही थी।’’

ऊषा ने तब पंजाब की हरजिंदर कौर को हराया था।

ऊषा ने एथलेटिक्स में भारत के पहले ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा की भी सराहना करते हुए कहा कि भाला फेंक के इस खिलाड़ी ने दिखाया है कि देश के एथलीट सबसे बड़े वैश्विक स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लंबे अर्से बाद किसी भारतीय एथलीट ने पदक जीता। मैं और मिल्खा सिंह ओलंपिक पदक के करीब पहुंचे थे लेकिन मामूली अंतर से चूक गये थे। इस साल एथलेटिक्स में पदक का लंबा इंतजार समाप्त हो गया।’’

ऊषा ने कहा, ‘‘नीरज का स्वर्ण पदक सभी एथलीटों के लिये प्रेरणा का काम करेगा क्योंकि अब वे जानते हैं कि एथलेटिक्स में कैसे पदक जीते जा सकते हैं। यदि वे कड़ी मेहनत करते हैं और उन्हें अन्य देशों की तरह सुविधाएं मिलती है तो ट्रैक एवं फील्ड एथलीट ओलंपिक पदक जीत सकते हैं। उन्होंने (चोपड़ा) रास्ता दिखा दिया है। ’’

चोपड़ा ने तोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता था।

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