कोरोना वायरस महामारी, मानवाधिकार उल्लंघन, हांगकांग के मसले और व्यापार को लेकर अमेरिका और चीन के संबंध पहले से काफी खराब चल रहे हैं।
एक दिन पहले ही प्रशासन ने तिब्बत में विदेशियों के प्रवेश को रोकने वाले चीन के अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
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हालांकि बृहस्पतिवार का उसका कदम चीनी नेतृत्व के और वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को निशाने पर लेते हुए उठाया गया है और इस पर चीन की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आ सकती है।
विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने एक बयान में कहा, ‘‘चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी उइगरों, जातीय कजाख लोगों तथा शिनजियांग के अन्य अल्पसंख्यक समूहों के लोगों का मानवाधिकार हनन कर रहा है, ऐसे में अमेरिका चुप नहीं बैठेगा। वह मनमानी सामूहिक हिरासत, जबरन आबादी नियंत्रण तथा उनकी संस्कृति और मुस्लिम आस्था को मिटाने की कोशिश कर रहा है।’’
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पोम्पियो के बयान के बाद वित्त विभाग की ओर से घोषणा की गई कि इन सब के लिए जिम्मेदार चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के अन्य अधिकारियों पर अतिरिक्त वीजा प्रतिबंध लगाए गए हैं।
जिन तीन अधिकारियों पर रोक लगाई गई है उनके नाम हैं उत्तरपश्चिमी चीन के उईगर स्वायत्त क्षेत्र शिनजियांग से पार्टी सचिव और पोलितब्यूरो सदस्य चेन क्युआनगुओ, शिनजियांग में पार्टी की राजनीतिक तथा कानूनी समिति के सचिव झू हेलून और शिनजियांग जन सुरक्षा ब्यूरो के सचिव वांग मिंगशान।
इन अधिकारियों के साथ-साथ इनके परिजनों के भी अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाई गई है।
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