वाशिंगटन, 10 फरवरी अमेरिकी सांसदों ने प्रतिनिधिसभा और सीनेट में एक विधेयक पेश किया है जो चीन और तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के बीच बातचीत शुरू करने के लिए अमेरिकी नीति के बारे में है।
इस विधेयक में तिब्बती लोगों की स्वतंत्रता और तिब्बत को लेकर उनके मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान की बात कही गई है।
कांग्रेसी जिम मैकगवर्न और माइकल मैक्कॉल ने सदन में ‘तिब्बत-चीन संघर्ष कानून के लिए एक प्रस्ताव को बढ़ावा देना’ संबंधी विधेयक प्रतिनिधिसभा में पेश किया जबकि सीनेटर जेफ मर्कले और टॉड यंग द्वारा इसे सीनेट में पेश किया गया।
इस विधेयक में वार्ता के जरिये मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया गया है।
मैकगवर्न ने कहा, ‘‘तिब्बती में लोगों के अधिकारों की रक्षा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत होनी चाहिए। इसमें आत्मनिर्णय का अधिकार शामिल है, जिससे तिब्बती लोगों को चीनी सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा वंचित किया जा रहा है।”
एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस विधेयक में चीन और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच बातचीत शुरू किये जाने की बात कही गई है। वर्ष 2010 के बाद से कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है और चीनी अधिकारी दलाई लामा से बातचीत के लिए अनुचित मांग करते रहे हैं।
दलाई लामा 1959 में तिब्बत में स्थानीय आबादी के विद्रोह पर चीनी कार्रवाई के बाद भारत आ गये थे। भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दी थी।
चीन दलाई लामा पर ‘‘अलगाववादी’’ गतिविधियों में शामिल होने और तिब्बत को विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाता रहा है। हालांकि दलाई लामा इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं।
सीनेटर यंग ने कहा, ‘‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का तिब्बत के प्रति आक्रामक रवैया ठीक नहीं है और तिब्बती लोगों की स्वतंत्रता और तिब्बत को लेकर उनके मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है।
मैक्कॉल ने आरोप लगाया कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी तिब्बती लोगों पर लगातार अत्याचार कर रही है। उन्होंने दावा किया कि तिब्बती लोगों की सीसीपी द्वारा निगरानी की जाती है।
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