Nagpur Land Allotment Issue: महाराष्ट्र विधान परिषद में नागपुर भूमि आवंटन मुद्दे पर हंगामा, कार्यवाही तीन बार स्थगित
महाराष्ट्र विधानभवन नागपुर (Photo: PTI)

Maharashtra:  महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान सम्बद्ध मंत्री के तौर पर एकनाथ शिंदे (अब मुख्यमंत्री) द्वारा नागपुर में भूमि आवंटित किये जाने को लेकर बुधवार को विधान परिषद में हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी. जमीन आवंटन का यह मामला तब का है, जब शिंदे पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में शहरी विकास मंत्री थे. नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) अंबादास दानवे ने लगातार दूसरे दिन सदन में यह मुद्दा उठाया, जिस पर सत्तारूढ़ पक्ष ने आपत्ति जतायी. बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती एमवीए सरकार के कार्यकाल के दौरान झुग्गीवासियों के लिए आरक्षित भूमि को निजी व्यक्तियों को आवंटित करने के फैसले पर हाल ही में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है.

शिंदे ने मंगलवार को कहा था कि उन्होंने इस मामले में कुछ भी गलत नहीं किया है. उन्होंने विपक्ष की इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया था. दानवे ने मंगलवार को कहा था कि शहरी विकास विभाग के तहत आने वाले नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (एनआईटी) ने झुग्गी निवासियों के वास्ते मकान के निर्माण के लिए शहर में 4.5 एकड़ जमीन सुरक्षित रखी थी. उन्होंने दावा किया, ‘‘हालांकि, शिंदे ने यह जमीन 1.5 करोड़ रुपये की कीमत पर 16 लोगों को देने का आदेश जारी किया था. जमीन की मौजूदा कीमत 83 करोड़ रुपये है.’’ दानवे ने बुधवार को कहा, ‘‘नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज कुमार सूर्यवंशी ने एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि एक परिवार के लोगों को एक से ज्यादा प्लॉट मिले, इसलिए प्लॉट आवंटन को मंजूरी नहीं दी जा सकती.’’ यह भी पढ़े: Devendra Fadnavis: कोविड की स्थिति पर नजर रखने के लिए महाराष्ट्र सरकार गठित करेगी टास्क फोर्स

दानवे आगे कुछ कह पाते इससे पहले ही सत्तापक्ष के सदस्यों ने शोर-शराबा शुरू कर दिया और उनके भाषण में बाधा डाली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने इस पर आपत्ति जतायी कि दानवे हर दिन मुद्दा उठा रहे हैं, जबकि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को सदन में इस पर पहले ही जवाब दे दिया है. दोनों पक्षों में बहस जारी रहने पर सदन की कार्यवाही पहले 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी. जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो फडणवीस ने कहा, ‘‘अगर चर्चा मंगलवार को ही पूरी हो गयी तो हम सदन में फिर से इस मुद्दे पर चर्चा क्यों कर रहे हैं? हर कोई जानता है कि यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है.

फिर सदन में हम इस पर चर्चा क्यों कर रहे हैं.’’ बहरहाल, दानवे और उनकी पार्टी के सहकर्मी अनिल परब ने दलील दी कि सदन के पास किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने का अधिकार है. इसके बाद दोनों पक्षों के हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही एक बार फिर 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी.

जब कार्यवाही तीसरी बार फिर शुरू हुई तो दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे. इसके बाद सदन की कार्यवाही एक बार फिर 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी.

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