गुवाहाटी, 15 सितंबर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की पत्नी से जुड़ी एक कंपनी को सरकारी सब्सिडी दिये जाने के आरोप पर चर्चा की मांग को लेकर शुक्रवार को विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विपक्षी सदस्यों के बहिर्गमन से पहले सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी थी।
कांग्रेस सदस्य कमलाख्या डे पुरकायस्थ ने सबसे पहले प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन से पूछा था कि क्या रिंकी भुइयां शर्मा को कलियाबोर क्षेत्र में राज्य सरकार की 'वसुंधरा' योजना के तहत जमीन आवंटित की गई थी।
उन्होंने पूछा कि भूमि आवंटित करने के लिए कौन से दस्तावेज जमा कराये गए थे जिससे संबंधित कंपनी को कथित तौर पर केंद्रीय सब्सिडी प्राप्त हुई थी।
विधानसभा अध्यक्ष बिश्वजीत दैमारी ने कहा कि यह मामला पुरकायस्थ द्वारा सूचीबद्ध मूल प्रश्न से संबंधित नहीं है और मुख्यमंत्री सदन में मौजूद नहीं हैं।
हालांकि, पुरकायस्थ अपने सवाल पर अड़े रहे और इस दौरान कई मंत्री अपने स्थान से खड़े हो गए और विपक्षी सदस्यों के खिलाफ टिप्पणी करने लगे।
सदन में हंगामा जारी रहने के कारण कार्यवाही को 30 मिनट तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विपक्ष के नेता कांग्रेस सदस्य देवव्रत सैकिया ने शून्यकाल के दौरान मामले पर चर्चा के लिए दिए गए नोटिस की ओर सभापति का ध्यान आकर्षित किया।
इसे लेकर उपाध्यक्ष नुमल मोमिन ने तत्काल चर्चा की अनुमति नहीं दी, जिसके बाद कांग्रेस के सदस्यों ने सदन में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इकलौते सदस्य और एक निर्दलीय विधायक के साथ आसन के समक्ष आकर धरना शुरू कर दिया।
सैकिया ने मुख्यमंत्री की पत्नी पर लगे आरोपों की जांच की भी मांग की।
इस दौरान भाजपा के सदस्य भी आसन के समक्ष आ गए और हंगामा शुरू हो गया, जिसे देखते हुए सदन की कार्यवाही को पांच मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।
दूसरे स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही फिर शुरू होने के उपरांत भी हंगामा नहीं रुका और कार्यवाही फिर 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
हिमंत की पत्नी पर लगे आरोपों को लेकर बृहस्पतिवार को भी विधानसभा में हंगामा हुआ था, जिसके बाद कांग्रेस ने बहिर्गमन किया था।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा था कि केंद्र सरकार से उनकी पत्नी या उनकी किसी कंपनी के पैसे लेने का कोई सबूत दिये जाने पर वह कोई भी सजा स्वीकार करने को तैयार हैं, जिसमें सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेना भी शामिल है।
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने बुधवार को आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री की पत्नी की कंपनी को कर्ज से जुड़ी रियायत के तौर पर 10 करोड़ रुपये मिले।
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