विदेश की खबरें | ‘टायरानोसॉरस रेक्स’ की तरह ही विकसित हुआ था हाल में खोजा गया डायनासोर 'मेराक्सेस'
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

ओटावा, 27 अगस्त (द कन्वरसेशन) हाल में खोजा गया डायनासोर 'मेराक्सेस' टायरानोसॉरस रेक्स की तरह ही विकसित हुआ था।

धरती पर लाखों साल पहले अस्तित्व में आए जीवन के स्वरूप के बारे में जीवाश्मों से हमें आश्चर्यजनक जानकारी मिलती है। प्राचीन प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन कर हम उस समय के जीवों के बारे में अपनी समझ को बढ़ा सकते हैं और यह जान सकते हैं कि आज की तुलना में अतीत में पृथ्वी कैसी रही होगी।

‘टायरानोसॉरस’ एक विशाल छिपकली की लुप्त डायनासोर प्रजाति है। इस प्रजाति को टायरानोसॉरस रेक्स या टी-रेक्स भी कहा जाता है।

इस परिप्रेक्ष्य में थेरोपॉड डायनासोर की प्रजाति ‘मेराक्सेस गीगास’ के अध्ययन से हमें डायनासोर के विकसित होने और जैवविविधता के बारे में जानकारी मिलती है। मैं जीवाश्म विज्ञानियों के उस दल का हिस्सा रहा हूं जिसने अर्नेस्टो बाकमान जीवाश्म संग्रहालय के जुआन कनाले के नेतृत्व में ‘मेराक्सेस गीगास’ का नामकरण किया।

जीवाश्म का नमूना, लगभग साढ़े नौ करोड़ साल पुरानी चट्टानों से, 2012 से 2014 के बीच अर्जेंटीना के विला एल चोकोन के पास एकत्र किया गया था। मेराक्सेस एक विशालकाय मांसाहारी थेरोपॉड था जो दो पैरों पर चलता था।

पाया गया जीवाश्म लगभग 11 मीटर लंबा था और उसका वजन 4,200 किलोग्राम के आसपास था।

इस डायनासोर का सिर और दांत बहुत बड़े थे और लंबे पैर, विशाल पांव तथा छोटे हाथ थे। मेराक्सेस के जीवाश्म के अध्ययन से हमें विशालकाय डायनासोर के विकासक्रम की जानकारी मिलती है।

टायरानोसॉरस रेक्स जैसा यह डायनासोर बड़े सिर और छोटे हाथ वाला रहा होगा। मेराक्सेस से हमें डायनासोर के विकसित होने के बारे में उनकी उम्र और वृद्धि की भी जानकारी मिलती है।

एक जीवाश्म विज्ञानी के तौर पर, मैं हड्डियों की सूक्ष्म संरचना पर शोध करता हूं ताकि विलुप्त हो चुके डायनासोर जैसे जीवों के शरीर की वृद्धि का अध्ययन जा सके। विभिन्न प्रजातियों में हड्डियां किस तरह विकसित होती हैं, मैं इसका भी अध्ययन करता हूं। इसके लिए एक हड्डी को बीच से काटकर उसे ‘स्लाइड’ पर रखना और पीसने के बाद उस पर प्रकाश डालकर माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखने की प्रक्रिया की जाती है।

जीवाश्म की हड्डियों की कोशिकाओं पर अनुसंधान से पता चला कि मेराक्सेस अपनी मौत के समय 50 वर्ष का रहा होगा। इस खोज से सामने आया कि यह सबसे प्राचीन ‘नॉन एवीयन’ डायनासोर था और सबसे पुराने डायनासोरों में से एक था।

हमें यह भी ज्ञात हुआ कि टायरानोसॉरस रेक्स की तुलना में मेराक्सेस के शरीर की वृद्धि अलग तरह से हुई। मेराक्सेस के शरीर में लंबे समय तक वृद्धि होती रही। टायरानोसॉरस और मेराक्सेस दोनों का शरीर बड़ा होता गया लेकिन उनकी खोपड़ी और छोटे हाथ स्वतंत्र रूप से हुए परिवर्तन के कारण विकसित हुए।

जैसे-जैसे हम मेराक्सेस और अन्य डायनासोर का अध्ययन जारी रखेंगे, हम पृथ्वी के इतिहास में अद्भुत जैव विविधता और परिवर्तनों के बारे में अपनी समझ को और बढ़ाएंगे।

(द कन्वरसेशन) यश

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