तोक्यो, पांच सितंबर भारत के सुहास यथिराज रविवार को यहां तोक्यो पैरालंपिक की पुरूष एकल एसएल4 क्लास बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में शीर्ष वरीय फ्रांस के लुकास माजूर से करीबी मुकाबले में हार गये जिससे उन्होंने ऐतिहासिक रजत पदक से अपना अभियान समाप्त किया।
नोएडा के जिलाधिकारी 38 वर्षीय सुहास को दो बार के विश्व चैम्पियन माजूर से 62 मिनट तक चले फाइनल में 21-15 17-21 15-21 से पराजय का सामना करना पड़ा।
गैर वरीय सुहास ग्रुप ए के क्वालीफाइंग में भी माजूर से हार गये थे जिनके नाम यूरोपीय चैम्पियनशिप में तीन स्वर्ण पदक हैं।
इस तरह गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी सुहास पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी भी बन गये हैं।
सुहास ने बैडमिंटन में भारत के लिये तीसरा पदक जीतने के बाद कहा, ‘‘मैं अपने प्रदर्शन से बहुत खुश हूं लेकिन मुझे यह यह मैच दूसरे गेम में ही खत्म कर देना चाहिए था। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिये मैं थोड़ा सा निराश हूं कि मैं फाइनल नहीं जीत सका क्योंकि मैंने दूसरे गेम में अच्छी बढ़त बना ली थी। लेकिन लुकास को बधाई। जो भी बेहतर खेलता है, वो विजेता होता है। ’’
एसएल4 क्लास में वो बैडमिंटन खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिनके पैर में विकार हो और वे खड़े होकर खेलते हैं।
इससे पहले प्रमोद भगत ने शनिवार को पुरूषों की एकल एसएल3 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जबकि मनोज सरकार ने इसी स्पर्धा का कांस्य पदक जीता था।
एसएल4 के कांस्य पदक के प्लेऑफ में दूसरे वरीय तरूण ढिल्लों को इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान से 32 मिनट तक चले मुकाबले में 17-21 11-21 से हार का सामना करना पड़ा।
स्वर्ण पदक के मैच में सुहास ने शुरू में दबदबा बनाया हुआ था और वह मुठ्ठी बंद कर हर प्वाइंट का जश्न मना रहे थे। भारतीय दल भी उन्हें चीयर कर रहा था।
सुहास और माजूर फिर 5-5 की बराबरी से 8-8 तक पहुंच गये। भारतीय खिलाड़ी ने अपनी गति में बदलाव करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी पर ब्रेक तक 11-8 की बढ़त बना ली।
खेलते समय सुहास के चेहरे पर मुस्कान थी और वह माजूर पर पर नियंत्रण बनाये थे। वहीं फ्रांसिसी खिलाड़ी के वाइड और लंबे शाट का फायदा भारतीय को मिला जो 18-12 से आगे हो गया था।
सुहास ने लगातार पांच गेम प्वाइंट से पहला गेम जीत लिया।
भारतीय खिलाड़ी ने अपनी शानदार लय दूसरे गेम में भी जारी रखी और वह 3-1 से आगे थे। हालांकि माजूर ने वापसी करते हुए 6-5 से बढ़त बना ली। सुहास भी वापसी की कोशिश करते रहे जिसमें वह माजूर की गलती से 11-8 से आगे थे।
भारतीय खिलाड़ी ने ब्रेक के बाद भी 14-11 से बढ़त बनायी हुई थी लेकिन माजूर अब ज्यादा आक्रामक थे जिन्होंने अंतिम 11 में से नौ अंक जुटाकर गेम जीत लिया।
अब फैसला निर्णायक गेम में होना था जिसमें सुहास ने लगातार स्मैश लगाकर अच्छी शुरूआत की और वह 3-0 से आगे थे। उन्होंने चतुराई से अपने शॉट चुने और इसे 6-3 कर लिया। लेकिन माजूर ने फिर वापसी कर 9-9 से बराबरी हासिल की।
माजूर की दो गलतियों से सुहास ब्रेक तक फिर आगे हो गये।
माजूर ने ब्रेक के बाद आक्रामक रिटर्न से 17-13 से बढ़त बना ली। इसके बाद सुहास कई गलतियां कर बैठे जिस पर माजूर ने पांच प्वाइंट बनाये और फिर भारतीय खिलाड़ी की नेट में गलती से मुकाबला जीत लिया।
कर्नाटक के 38 वर्ष के सुहास के टखनों में विकार है । कोर्ट के भीतर और बाहर कई उपलब्धियां हासिल कर चुके सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर है और प्रशासनिक अधिकारी भी । वह 2020 से नोएडा के जिलाधिकारी हैं और कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोर्चे से अगुवाई कर चुके हैं ।
उन्होंने 2017 में बीडब्ल्यूएफ तुर्की पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पुरूष एकल और युगल स्वर्ण जीता । इसके अलावा 2016 एशिया चैम्पियनशिप में स्वर्ण और 2018 पैरा एशियाई खेलों में कांस्य पदक हासिल किया ।
प्रमोद भगत ने शनिवार को पैरालंपिक की बैडमिंटन स्पर्धा में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)