नयी दिल्ली, 12 दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक राधा श्याम राठो ने मंगलवार को कहा कि गंभीर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत एक आकर्षक स्थान बना हुआ है और रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण एक स्वाभाविक कदम है।
राठो ने कहा कि हालांकि रुपये को अंतरराष्ट्रीय रूप देने का रास्ता सुगम नहीं हो सकता क्योंकि इसमें लंबी अवधि तक कई बाधाओं को पार करना पड़ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘संयोग से, हाल के वर्षों में वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल के साथ देशों को अधिक मांग वाली मुद्राओं (डॉलर) के हथियार के रूप में उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को कम करने के लिए मुद्रा विविधीकरण की जरूरत महसूस की गयी है।’’
राठो ने कहा कि ‘बड़े खतरों’ का सामना कर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के विपरीत, भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में ‘गोल्डीलॉक्स’ समय से गुजर रही है और प्रतिकूल बाह्य झटकों के बावजूद पिछले तीन-चार साल में उल्लेखनीय मजबूती दिखायी है।
‘गोल्डीलॉक्स’ स्थिति से आशय ऐसे समय से है जब अर्थव्यवस्था आदर्श स्थिति में होती है। इसमें न तो ज्यादा गिरावट आती है और न ही बहुत तेज उछाल आता है।
राठो ने उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के बैंक और वित्त पर आयोजित शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘ऐसे में, आत्मनिर्भर भारत के व्यापक पहलू को आगे बढ़ाने को लेकर भारतीय रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए जरूरी विभिन्न उपायों की संभावना टटोलने का समय आ गया है।’’
उन्होंने कहा कि रुपये को अंतरराष्ट्रीय रूप देने का कदम हमारे वित्तीय बाजारों मजबूत कर सकता है। इससे घरेलू कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मुद्रा में लेनदेन करने की अनुमति मिलेगी। साथ ही हमारे निर्यातकों और आयातकों के लिए विनिमय दर जोखिम भी कम होगा।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)